
निकटवर्ती सिद्धपीठ सालासर बालाजी धाम में चैत्र सुदी पूर्णिमा पर हनुमान जयन्ती पर भरने वाला लक्खी मेला शुक्रवार को पुर्णिमा की धोक लगाने के साथ ही सम्पन्न हो गया। तीन दिवसीय मेले के अन्तिम दिन हनुमान जयन्ती पर देश के कोने-कोने से आये एक लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं ने बालाजी महाराज के दर्शन कर मन्नतें मांगी। पूर्णिमा के दिन श्रद्धा के बढ़ते सैलाब को देखते हुये मंदिर प्रबन्धन समिति ने मंदिर के पट्ट अद्र्ध रात्रि को ही खोल दिये जिसके चलते बाबा के दर्शनार्थियों की भीड़ अद्र्ध रात्रि से लेकर सांझ ढलने तक लगातार चलती रही। इस दौरान गांव के तालाब से लेकर मंदिर तक लगाई गई लगभग आठ किलोमीटर लम्बी रैलिंगों में दोपहर तक पैर रखने की भी जगह नहीं बची। भीषण गर्मी से बेपरवाह श्रद्धालु बाबा की धुन में इतने लीन नजर आये कि बाबा के जयकारों के साथ घण्टों इंतजार के बाद भी थकान उन पर हावी नहीं हुई। मेले के आखिरी दिन सालासर से जुडऩे वाले सभी सड़क मार्ग श्रद्धालुओं की भीड़ से अटे नजर आये।
कहीं डीजे की धुन तो कहीं लाल पताका लिये भक्तों की टोलियां जहां भी देखे श्रद्धा व विश्वास के अनूठे संगम की सानी बन रही थी। भक्ति की इसी धुन को लेकर अद्र्ध रात्रि से ही बालाजी महाराज के दर्शनार्थ श्रद्धालु पंक्तिबद्ध हो गये। बाबा के दर्शनों का तांता इस कदर लगा कि शाम ढलने तक लाखों श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार में मत्था टेक कर अपनी मन्नतें पूरी की। उधर बालाजी महाराज के दर्शनार्थ आये लाखों श्रद्धालुओं को हनुमान सेवा समिति के पदाधिकारियों ने पानी के पाउच, बिस्कुट, टॉफियां व संतरे-जूस इत्यादि वितरित किये। मेले में शान्ति एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस व प्रशासन भी दिन भर चाक चौबन्द नजर आया तथा पुजारी परिवार के सदस्य दिन भर श्रद्धालुओं की सेवा सुश्रुषा में जुटे रहे। ज्यों-ज्यों शाम ढलने को आई त्यों-त्यों बाबा के दर्शन कर चुके श्रद्धालु अपने-अपने मुकाम की रवाना होने लगे
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