निकटवर्ती सालासर धाम में लक्ष्मणगढ़ मार्ग पर अंजनी माता मन्दिर के पास नवनिर्मित चमेलीदेवी अग्रवाल सेवा सदन के नजदीक स्थित पंचवटी में मां चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में आयोजित राम कथा में उपस्थित जनों को कथा का अमृतपान करवाते हुए वैदिक परम्परा के पोषक परम पूज्य जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी श्री अवधेशानन्द गिरी जी महाराज ने कहा की जीवन की पहली मांग प्रकाश है।
प्रकाश के बिना जीवन अंधकारमय है। प्रकाश होने से ही जीवन में कर्मठता, उत्साह, सक्रीयता व उत्सुकता आती है। महाराज ने कहा की बाहरी प्रकाश स्थाई प्रसन्नता नहीं दे सकता। जिसमें जीवन के अर्थ प्रकट हो, ऐसा प्रकाश गुरूजनों व आचार्यों से मिलता है। जुनापीठाधश्वर ने कहा की जो हमें स्व और परमात्मा के भेद को मिटा कर सच्चा ज्ञान दे वही गुरू है। अज्ञान को दु:ख का बीज बताते हुए महाराज ने कहा की मनुष्य को सारे दु:ख अज्ञान व अविद्या के कारण मिलते हैं।
जीवन के अज्ञान को दूर करने के लिए आपस में संवाद होना जरूरी है। प्रिय और अप्रिय को जीवन में झगड़े का कारण बताते हुए महामण्डलेश्वर ने कहा की स्थाई सुख के लिए इन्द्रियों को जीतना जरूरी है। बिना इन्द्रियों को जीते स्थायी सुख नहीं मिल सकता। उन्होने कहा की राम जैसा चरित्र और पवित्रता कहीं भी नहीं है। जीवन के विकास के लिए स्पद्र्धा को आवश्यक बताते हुए अवधेशानन्द गिरी जी महाराज ने कहा की जीवन एक युद्ध है, जिसमें हार के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होने कहा की मन को जीतने वाला ही जग जीत है। मन जीतने के साथ ही आस-पास के परिवेश में बदलाव आ जायेगा।
बड़ों से आदर लेना और उसमें सुख ढ़ुंढने को पतन का कारण बताते हुए महाराज ने कहा की जिसके भीतर संसार स्थिर हो जाये वहीं साधु है। अपने अन्तर में पवित्रता को अपनाने पर आपकी प्रसिद्धि अपने आप ही दूर तक फैल जायेगी। कथा शुरू होने से पूर्व मुख्य यजमान विनोद अग्रवाल एवं श्रीमती नीना अग्रवाल ने व्यासपीठ व रामायण जी की पूजा-अर्चना की तथा महाराज का स्वागत किया। स्नेहलता-ज्ञानप्रकाश गुप्ता, सत्यभामा-ओमप्रकाश गुप्ता, दुर्गादेवी-प्रकाश गुप्ता तथा रामप्रकाश कान्हेरिया व कष्णचन्द्र गुप्ता ने सपत्निक और विवेक ठाकुर, धैर्या पारीक, सुजानगढ़ न्यायिक मजिस्ट्रैट राजेश कुमार दडिय़ा, नेमनारायण पुजारी, बाबूलाल पुजारी चैयरमेन ने महाराज श्री का गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया।