सालासर ग्राम में श्रीमद् भागवत कथा

निकटवर्ती सालासर ग्राम में लक्ष्मीनारायण पुजारी के आवास मोहनधाम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में शुक्रवार को व्यास पीठ पर विराजमान बाल साध्वी प्राची कुमारी ने समुद्र मंथन के प्रसंग का श्रवण करवाते हुए कहा की क्षीर सागर मंथन के समान अपने जीवन का मंथन करने पर उसमें से निकलने वाले नवरत्नों के समान ही परिश्रम, त्याग व बलिदान जैसे दुर्लभ पुष्पों की महक से मानव जीवन सुगन्धमय हो जाता है। इस प्रकार का व्यक्ति अपने चरित्र से वातावरण में निराली छटा बिखेरता है।

हरियाणा के श्रीमहन्त शिवानन्द सरस्वती महाराज, महन्त मोहन भारती महाराज के सानिध्य तथा आंजनेय योग सन्यास आश्रम धर्मार्थ ट्रस्ट के तत्वाधान में आयोजित कथा के चौथे दिन उपस्थितजनों को राजा बलि का उदाहरण देते हुए बाल साध्वी ने कहा की यह कथा युद्ध की नहीं वरन आत्मा और परमात्मा के मिलन की कथा है। संयम, नियम, साधना और ब्रह्मचर्य का कठोर पालना करने वाली जीवात्मा ही ईश्वर का साक्षात्कार कर सकती है। जिससे हमारे जीवन में त्याग, बलिदान व क्षमा की भावना जागृत होती है।

कथा आरम्भ से पूर्व मुख्य यजमान बसन्तीलाल पुजारी ने सपत्निक भागवत जी की पूजा-अर्चना की एवं आरती उतारी। मुख्य यजमान बसन्तीलाल पुजारी, लक्ष्मीनारायण पुजारी, आंजनेय योग सन्यास आश्रम धर्मार्थ ट्रस्ट के महन्त गोविन्दानन्द, रामबिहारी पुजारी, महेन्द्रसिंह शेखावत, भगवानाराम ढ़ाका, श्यामसन्दर सैन आदि ने पुष्पहार से स्वागत किया। इस अवसर पर श्रीविद्याप्रकाश, बंशीलाल प्रजापत, राधेश्याम जोशी, लोढ़ाराम शर्मा, दीनदयाल पुजारी, सांवरमल शर्मा व महेश पुजारी सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

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