हजरत बदरूद्दीन शाह का तीन रोजा उर्स कुल शरीफ व तबर्रूक तकसीम होने के साथ ही सम्पन्न हुआ। जौहर की नमाज के बाद मस्जिद जन्नतुल फिरदौस से जुलूसे चादर शरीफ रवाना हुआ। कारी मन्सूर आलम चादर पर इत्र लगाकर रवाना किया। सैंकड़ों अकीदतमंद मखमली व फूलों की चादरों के साथ नारा-ए-तकबीर व नातो मनकबत पढ़ते हुए जुलूस के रूप में मोहल्ला तेलियान, ईदगाह मस्जिद, गांधी चौक, घण्टाघर, मौहल्ला व्यापारियान होते हुए दरगाह शरीफ पंहूचे। दुरूद शरीफ का विदर करते हुए आस्ताना शरीफ में दाखिल हुए तथा हजरत बदरू द्दीन शाह एवं दीन मोहम्मद शाह के मजारत पर चादर पोशी की। हाफिज अब्दुल सलाम की कयादत में दुरूदो सलाम पढ़ा गया।
जायरीन हजरात ने मजारत पर सिरनी चढ़ाई एवं मन्नते मांगी। तकिया परिसर में महफिले नात ओ मनकबत का आयोजन हुआ। जिसमें हाफिज मोहम्मद अयूब खीची, खादिमें दरगाह हाजी शमीम अख्तर अल्ताफ हुसैन काजी, शहर काजी मोहम्मद आरीफ, हारून काजी, हाफिज आरीफ दैया सहित अनेक महिला-पुरूष शामिल हुए। दुरूदो सलाम पढऩे के बाद यक जहती, अच्छी सेहत, मुल्क में अम्नो अमान, भाईचारा, रोजी में बरकत के लिए सामूहिक दुआ की गई। जायरीनों पर सुगन्धित जल का छिड़काव कर तबर्रूक बांटा गया तथा शहर काजी ने उर्स समापन की घोषणा की। उर्स संयोजक हाजी शम्सूद्दीन स्नेही ने इन्तेजामिया कमेटी के सदस्यों, उल्मा-ए-किराम तथा समस्त जायरीन का आभार व्यक्त किया।