लॉक डाउन में जरूरतमंद परिवारों को विधायक कोटे से राशन सामग्री के सामान की सप्लाई करने वाले व्यापारी को भुगतान के लिए उपखण्ड कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे है। मोतीलाल दामोदर लाल फर्म के व्यापारी ओमप्रकाश भरतीया ने बताया कि उन्हें कोरोना काल में तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी रतनलाल स्वामी को चार हजार राशन किट तैयार कर उनकी सप्लाई नगरपरिषद में देने का आदेश मिला था। जिसमें से तत्कालीन उपखण्ड रतन कुमार स्वामी ने अपने कार्यकाल में वितरित कराए गये 2700 राशन किटों का तेरह लाख रूपए से अधिक का भुगतान करवा दिया।
लेकिन उपखण्ड अधिकारी स्वामी का तबादला होने के बाद सुजानगढ़ में नये लगे उपखण्ड अधिकारी धर्मराज गुर्जर व्यापारी के 1300 किटों का छ: लाख 49 हजार नौ सौ बत्तीस रूपये का भुगतान दिलाने के लिए आना कानी कर रहे है। जिस कारण मजबूरन व्यापारी को भुगतान के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। व्यापारी इन्द्रचंद ने बताया कि नगरपरिषद के उपसभापति बाबूलाल कुलदीप ने उन्हें कोरोना काल में लॉक डाउन के दौरान सामाजिक न्याय एंव अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल से दूरभाष पर वार्ता करवाकर चार हजार राशन किट तैयार कर उन्हें वितरण के लिए नगरपरिषद को सौंपने का कहा था व राशन किटों का भुगतान विधायक मद से उपखण्ड अधिकारी के मार्फत करवाने का कहा गया था। जिसके बाद कुल सत्ताई सौ किटों का भुगतान तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी कर चुके। लेकिन अचानक मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल की तबियत बिगडऩे के बाद सुजानगढ़ में नये लगे उपखण्ड अधिकारी ने राशन किटों के भुगतान की फाइलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। पीडि़त व्यापारी ओमप्रकाश ने बताया कि वे तत्कालीन कलक्टर संदेश नायक से गत 11 जुलाई को पंचायत समिति सभागार में मिलकर बकाया भुगतान करवाने को लेकर प्रार्थना पत्र दिया था।
जिस पर कलक्टर ने उपखण्ड अधिकारी धर्मराज गुर्जर को भुगतान कराने के निर्देश दिये थे। लेकिन उसके बाद भी उनके द्वारा दी गयी किटों का अभी तक भुगतान नही हो पाया है। व्यापारी ओमप्रकाश भरतीया ने बताया कि उनके 1300 किटों में से 500 किटों का विवरण नगरपरिषद ऑनलाइन कर चुकी है। लेकिन शेष किट ऑनलाइन नही चढ़ाने पर उनका भी भुगतान नही हो पाया है। पीडि़त व्यापारी का कहना है कि वे एक दर्जन से अधिक बार उपखण्ड अधिकारी व नगरपरिषद व जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगा चुके है लेकिन उनका अभी तक भुगतान नही किया जा रहा है।
इस मामले में उपखण्ड अधिकारी धर्मराज गुर्जर ने बताया कि व्यापारी द्वारा किटों का भुगतान मेरे कार्यकाल का नही है। साथ ही किसी भी सामग्री की खरीद क्रय समिति के सदस्यों के सामने होती है। समिति के सदस्यों की अनुशंषा पर ही भुगतान किया जाता है। गौरतलब है कि क्रय समिति का मुखिया उपखण्ड अधिकारी होता है, एवं समिति के मुखिया के कहे बिना कोई भी सदस्य इसके भुगतान के लिए अनुशंषा नही करता। इस मामले में नगपरिषद आयुक्त बंसत सैनी ने कहा कि यह मामला उपखण्ड कार्यालय का है।