
राज्य सरकार द्वारा लागू किये गये कृषक कल्याण कोष का उपयोग किसानों के कल्याण के लिए होगा तथा इसके लिए किसानों से किसी प्रकार कोई फीस नहीं वसूली जायेगी। कृषि उपज मण्डी सचिव प्रेम प्रकाश यादव ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के परिवर्तित बजट में राज्य सरकार द्वारा किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलवाने के उद्देश्य से एक हजार करोड़ रूपये के कृषक कल्याण कोष का गठन किया गया। इस कोष के तहत समर्थन मूल्य पर खरीद की जा रही कृषि जिन्सों के तुरन्त भुगतान, बाजार हस्तक्षेप योजना, प्लेज फाइनेंसिंग, अनुदान स्वीकृति के लिए वित प्रबंधन, मण्डियों के विकास तथा कृषक कल्याण से सम्बन्धित अन्य गतिविधियों को संचालित करने के उद्देश्य निर्धारित किये गये।
यादव ने बताया कि राज्य सरकार की घोषणा की अनुपालना में राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा दो हजार करोड़ रूपये का कोष सृजित किया गया। जिसमें से 1500 करोड़ रूपये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के राज्यांश प्रीमियम के भुगतान के लिए कृषि विभाग स्वीकृति जारी की गई। राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय, एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति के तहत 15 प्रकरणों के लिए 5.91 करोड़ रूपये की राशि का अनुदान स्वीकृत किया गया हैं, वहीं 38 आवेदन अभी लम्बित चल रहे हैं। मण्डी सचिव ने बताया कि राजस्थान में पड़ौसी राज्यों की तुलना में काफी कम लिया जा रहा है। पंजाब में तीन प्रतिशत, हरियाणा में दो प्रतिशत, उत्तरप्रदेश में दो प्रतिशत मण्डी शुल्क लिया जा रहा है, वहीं राजस्थान में इसकी अधिकतम दर 1.60 प्रतिशत है। यादव ने बताया कि कृषक कल्याण फीस का भार किसानों पर नहीं पड़ेगा, बल्कि इस राशि का उपयोग किसानों के कल्याण के लिए ही किया जावेगा।
यादव ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेश में 592 सहकारी समितियों, राजस्थान राज्य भण्डार व्यवस्था निगम के 93 वेयर हाऊस को निजी गौण मण्डी के रूप में अधिसूचित किया है, जहां पर किसान अपनी उपज का विक्रय कर सकता है। वहीं 1522 प्रसंस्करण ईकाईयों को किसानों से उनकी उपज सीधे खरीदने के लिए अनुज्ञा पत्र जारी किये गये हैं।