मरूदेश संस्थान द्वारा स्थापित कन्हैयालाल सेठिया राजस्थानी भाषा सेवा सम्मान इस वर्ष राजस्थान की लोक संस्कृति, भाषा और साहित्य के संरक्षण के लिए समर्पित कोलकाता की संस्था मरूधारा को श्रीसुख सदन में समारोहपूर्वक आयोजित कार्यक्रम में प्रदान किया गया। मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने बताया कि विगत तीन दशकों से भी अधिक समय से राजस्थानी की समृद्ध लोक संस्कृति एवम् साहित्य की गौरवशाली परम्परा के उन्नयन हेतु कार्यरत ‘मरूधारा‘ प्रवासी महिलाओं की प्रतिनिधि रचनात्मक संस्था है।
वर्ष 1986 में स्थापित ‘मरूधारा’ निरन्तर लोक नृत्य, लोक कला, चित्रकला, संगीत, साहित्य, भाषा आदि की निरन्तर कार्यशालाऐं, गोष्ठी, समारोह, प्रदर्शनी, मरू मेला आदि का आयोजन कर प्रवासी राजस्थानियों को अपनी मातृभूमि से जोड़े रखने के प्रयास के लिए ‘मरूधारा’ को यह सम्मान प्रदान किया गया। अतिथियों के द्वारा मरूधारा की अध्यक्षा ऊषा झुुंनझुनवाला एवं सदस्याओं को मान पत्र भेंट कर सम्मान प्रदान किया। इस अवसर पर संस्था की अध्यक्षा ऊषा झुनझुनवाला ने कहा कि ‘मरूधारा’ ने अब तक कलाकारों, रचनाकारों और संस्कृतिधर्मियों को सम्मानित किया है पर यह पहला अवसर है कि अपने कार्यो के लिए ‘मरूधारा’ को सम्मान मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि महाकवि कन्हैयालाल सेठिया की मातृभूमि में आकर यह सम्मान प्राप्त करना हमारे लिए गौरव की बात है और इससे हमें कार्य करने की एक नई ऊर्जा प्राप्त हुई है। इससे पूर्व साहित्यकार भंवरसिंह सामौर ने आयोजकीय पृष्ठभूमि की जानकारी दी। लाडनूं की शिक्षाविद् कंचनलता शर्मा, पूर्व प्रधानाचार्य रूकमानंद शर्मा, समाजसेवी चन्दनमल कोठारी ने सम्मान प्रदान किया। विधाधर पारिक ने इस सत्र में आभार व्यक्त किया।
महाकवि ने निवण कार्यक्रम आयोजित –
इस अवसर पर मरूदेश संस्थान और ‘मरूधारा’ कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में पद्मश्री कन्हैयालाल सेठिया की जन्म शताब्दी वर्ष के अन्तर्गत ‘महाकवि ने निवण’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। दीप प्रज्ज्वलन व ‘मरूधारा’ की सदस्याओं द्वारा की गई गणेश वंदना से कार्यक्रम का आगाज हुआ। तदुपरान्त कार्यक्रम की संयोजिका संजू कोठारी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए ‘महाकवि ने निवण’ कार्यक्रम के सम्बन्ध में जानकारी दी। उन्होने कोलकाता में आयोजित प्रज्ञापुरूष- कन्हैयालाल सेठिया कार्यक्रम के सम्बन्ध में भी बताया।
आयोजन में ‘मरूधारा’ की सचिव माधुरी बागड़ी ने ‘मरूधारा’ संस्था की गतिविधियों के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुए सेठिया के राजस्थानी भाषा, साहित्य व संस्कृति के अवदान पर चर्चा की। इस आयोजन में मरूधारा की उपाध्यक्षा लक्ष्मी बाजोरिया, पूर्व सचिव कुसुम लोहिया, कोषाध्यक्ष जयश्री मोहता, सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रभारी सरोज टिबड़ेवाला, संयोजिका लक्ष्मी बाजोरिया (कनिष्ठ) सदस्याएँ आशा चोखानी, तरूणा भूतोडिय़ा, सरिता अग्रवाल, मीनू जैन आदि ने कन्हैयालाल सेठिया की काव्य रचनाओं का संगीतमय सस्वर पाठ किया। इन्होने कन्हैयालाल सेठिया की राजस्थानी रचनाएं ‘टमरक टूं’, ‘चिडकल्यां’, ‘पाथळ-पीथळ’, ‘सिंझ्या बहु’, ‘कुण जमीन रो धणी’, ‘सरवरियों’, ‘खेजड़लो’, ‘दो मायड़ ने मान’ आदि रचनाओं की सांगोपांग प्रस्तुतियां दी और सेठिया के अमरगीत ‘धरती धोरां री’ से आयोजन का समापन किया।
इस अवसर पर ‘प्रज्ञापुरूष’ सेठिया पर मरूधारा की नाट्य प्रस्तुतियों का विडियो भी आयोजन में दिखाया गया, जिसे सभी ने खूब करतल ध्वनि से सराहा। मरूदेश संस्थान के सचिव कमलनयन तोषनीवाल, संयोजक किशोर सैन, रतनलाल सैन व गिरधारी काबरा ने ‘मरूधारा’ को साहित्य भेंट किया। इस सत्र का संचालन डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने किया।
इन्होने किया स्वागत
सुजानगढ़ पधारे मरूधारा के बारह सदस्ययी दल का परम्परागत स्वागत शशि अग्रवाल, सुशीला सैन, आरती सोनी, डॉ. कमला शर्मा, मर्यादानाथ कच्छावा, पुखराज मालू, उमराव कोठारी, रानी जैन, तारा मालू आदि ने किया।
सेठिया के कारण सुजानगढ़ साहित्यिक तीर्थ – कैलाश मंडेला
‘महाकवि ने निवण’ कार्यक्रम में शाहपुरा भीलवाड़ा से पधारे प्रसिद्ध कवि कैलाश मंडेला ने कहा कि महाकवि कन्हैयालाल सेठिया के कारण सभी रचनाधर्मियों के लिए सुजानगढ़ एक साहित्यिक तीर्थ स्थल है। उन्होने कन्हैयालाल सेठिया की रचना प्रक्रिया की प्रशंसा करते हुए उन्हे लोक कवि बताया। मंडेला ने सेठिया के गळगचियों गद्य काव्य की तरह अपने मौलिक गद्यकाव्य टोपा-टोपी, बिजली रो खटको, कंगो अर बाल आदि से तीखे व्यंग्य व हास्य से तालियां बटोरी। श्रोताओं की मांग पर उन्होने बेटी पर अपनी एक रचना ‘थ्हनै कुण कैवे री काळी’, ‘थूं म्हारै घर री दीवाळी’ सुनाकर समां बांध दिया। इस अवसर पर कवि कैलाश मंडेला का साहित्य भेंट कर सम्मान किया गया।
ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम में प्रवासी उद्यमी कन्हैयालाल डूंगरवाल, अब्दुल करीम खीची, प्रकाश दीक्षित, सुनीता दीक्षित, हेमलता मंडेला, हाजी शम्सुदीन स्नेही, बी. जी. शर्मा, मदनलाल गुर्जर, मुकेश रावतानी, डॉ. विपिन बिहारी, मोहन सुराणा, रामनिवास गुर्जर, सुनील मंगलूनिया, बाबूलाल फूलफगर, अजय चौरडिय़ा, कवि अरविन्द विश्वेन्द्रा, तनसुख गोठडिय़ा, श्याम तोदी, खडक़सिंह बांठिया, केसरीचंद मालू, सुरेन्द्र रामपुरिया, बाबूलाल घोसल, सुनिल विश्नोई, लालचंद बेदी आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर मरूधारा की गणगौर पर सी.डी., लोक गीत संग्रह व स्मारिका आयोजकीय संस्था को भेंट की गई।