पुण्यों का संचय और परमार्थ कार्यों में लक्ष्मी का सदुपयोग करें – विभाश्री माताजी

श्री दिगम्बर जैन मंदिर में चल रहे 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान आराधना महोत्सव के चौथे दिन सर्वप्रथम विधान में विराजे जिनेन्द्र भगवान का कलशाभिषेक व नित्य पूजा पाठ विधानाचार्य स्वतंत्र जैन के सानिध्य में सम्पन्न हुए। जिसमें 128 अर्घ समर्पित किये गए। गणाचार्य 108 विरागसागर जी की शिष्या 105 विभाश्री माताजी के परम सानिध्य में नरेंद्र कुमार जयप्रकाश पांड्या परिवार के प्रतिनिधि खेमचन्द बगड़ा परिवार ने जिनेन्द्र भगवान की महाशांतिधारा व द्वितीय शांतिधारा प्रकाशचंद विमल कुमार पाटनी ने कर पुण्य का संचय किया।

माताजी के पादपक्षालन करने का सौभाग्य रतनलाल खेमचन्द बगड़ा परिवार व शास्त्र भेंट जंवरीमल नवरतनमल छाबड़ा, मिश्रीलाल प्रदीप कुमार बगड़ा, माणकचंद पवन कुमार छाबड़ा इंदरचंद समुद्र बाकलीवाल व लादूलाल पाटनी परिवार को मिला। माताजी ने विधान में उपस्थित समाजजनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मनुष्य को पुण्य का संचय करना चाहिये तथा चंचला लक्ष्मी का सदुपयोग परमार्थ के कार्यो में करना चाहिये। सिद्धचक्र महामंडल की महिमा बताते हुए माता जी ने कहा कि इससे पापों का नाश होता है।

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए जैन समाज के मंत्री पारसमल बगड़ा ने बताया कि इस अवसर पर जयकुमार बगड़ा, लालचन्द बगड़ा, विनीत बगड़ा, पवन छाबड़ा, पारसमल पांड्या, विमल पाटनी, शैलेन्द्र गंगवाल, सुशील पहाडिय़ा, बबिता देवी पहाडिय़ा, चंद्रकांता देवी छाबड़ा, सुनीता बगड़ा, मंजू देवी छाबड़ा, मैना देवी पाटनी, प्रीति बगड़ा, सोनिया बगड़ा, दीपिका बगड़ा, सलोनी पाटनी सहित काफी संख्या में जैन समाज के लोग उपस्थित थे। सांध्यकालीन महाआरती के पश्चात सांस्क्रतिक कार्यक्रम व धार्मिक संदेश प्रदान करने वाला नाटक मंचन किया गया। संगीतकार पुष्पेंद्र एण्ड पार्टी द्वारा सांगीतिक प्रस्तुति दी गई।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here