श्री सनातन संस्कार सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन व्यास पीठ पर विराजमान महन्त स्वामी कानपुरी महाराज ने कहा कि मनुष्य योनी मोक्ष का द्वार है, अन्य योनिया केवल फल भोगने के लिए है, वहीं मनुष्य योनी कर्म योनी है। जिसमें व्यक्ति अपने कर्मों के अनुसार फल भोगता है।
महाराज ने शुकदेव आगमन, कपिल अवतार, वराह अवतार, मत्सत्य अवतार, श्रीराम अवतार, श्रीकृष्ण अवतार सहित भगवान के चौबीस अवतारों का वर्णन सुनाते हुए महाराज ने कहा कि आप अन्य किसी की बुराई नहीं करे तथा अपने इष्ट का ध्यान करते हुए सत्संग करना चाहिए। सत्संग से हमारे अन्दर व्याप्त बुराईयों और दुर्गुणों को दूर होते हैं और हमारी जीवन धारा बदल सकती है। इससे पूर्व कथा शुरू होने से पहले यजमान मांगीलाल प्रजापत ने सपत्निक भागवत जी की पूजा व आरती की। ठेठ राजस्थानी में कथा कर रहे महन्त स्वामी कानपुरी जी महाराज की संगीतमयी कथा श्रवण के लिए सैंकड़ों महिला पुरूष आ रहे हैं।
कथा को सफल बनाने में समिति के अध्यक्ष पवन कुमार जोशी, मंत्री संजय जोशी, हंसराज पारीक, ओमप्रकाश बोहरा, बाबूलाल जोशी, विनोद दाधीच, राजकुमार प्रजापत, नवरतन पुरोहित, अशोक तिवाड़ी, मुरली मनोहर जोशी, भीकमचंद जोशी, अखेचंद पांडिया, सुरेंद्र पारीक, श्याम जोशी आदि योगदान दे रहे हैं।