
लक्ष्मीनाथ मन्दिर से अष्टधातु की भगवान लक्ष्मीनाथ सहित चार मूर्तियों की चोरी होने के पांच साल बीतने को है लेकिन आज तक ना तो मूर्तियों का सुराग लगा है और ना ही आरोपी पकड़ में आये हैं। इन पांच सालों में जांच कईं बार बदली तो वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित अनेक तत्कालीन व वर्तमान जनप्रतिनिधियों ने मन्दिर का दौरा कर पुजारी परिवार को कार्यवाही में तेजी लाने एवं मूर्तियों की बरामदगी करवाने को लेकर आश्वासन दिये। इन आश्वासनों के सहारे पांच साल का समय बीत गया, इस दौरान प्रदेश में राज बदल गया और राज बदलने के बाद जांच अधिकारी भी बदल गये, लेकिन नहीं बदली है तो वह एक चीज मन्दिर के गर्भगृह में भगवान लक्ष्मीनाथ सहित चार मूर्तियों के विराजमान होने का इंतजार।
राज बदलने से पुजारी परिवार को उम्मीद थी कि इससे जांच में तेजी आयेगी, लेकिन जांच में तेजी की बात तो दूर जांच अधिकारी ही अब तक मन्दिर में मौका देखने नहीं आये। जानकारी के अनुसार 18 दिसम्बर 2014 को शहर के सबसे पुराने मन्दिरों में शुमार अगुणा बाजार स्थित लक्ष्मीनाथ मन्दिर से भगवान लक्ष्मीनाथ की अष्टधातू की बेशकीमती मूर्ति सहित चार मूर्तियां और भगवान के आभूषण चोरी हुए थे। जिस पर तत्कालीन पुजारी विजयशंकर मिश्रा ने सुजानगढ़ थाने में अज्ञात चोरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था। चोरी के अगले दिन 19 दिसम्बर को शहर के सभी व्यापार मण्डलों ने बिना किसी पूर्व सूचना के नगर के बाजार बंद रखे तथा आन्दोलन किया और नगरवासियों की मांग पर प्रकरण की जांच तत्कालीन छापर थानाधिकारी विष्णुदत विश्नोई को दी गई। 19 व 20 दिसम्बर को प्रदर्शन के दौरान व्यापारियों एवं सामाजिक संगठनों ने उपखण्ड अधिकारी को तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के नाम ज्ञापन सौंपकर आरोपियों को पकडऩे व मूर्तियों को बरामद करने की मांग की थी।
ज्ञापन के द्वारा 23 दिसम्बर तक की समय सीमा तय की गई। इसी दौरान 20 दिसम्बर 14 को वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्तमान शिक्षा मंत्री गोविन्दसिंह डोटासरा व वर्तमान सामाजिक एवं न्याय मंत्री मा. भंवरलाल मेघवाल के साथ मन्दिर पंहूच कर घटना की जानकारी ली और इस सम्बंध में सरकार से वार्ता करने की बात कही। लेकिन यह बात इससे आगे नहीं बढ़ी और इन तीनों जनप्रतिनिधियों ने इस बारे में क्या कार्यवाही की, इस सम्बंध में आज दिन तक पुजारी परिवार को नहीं बताया गया और ना ही इस प्रकरण की वापस सुध ली। यहां तक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मा. भंवरलाल मेघवाल ने भी इसके बाद एक बार भी मूर्ति चोरी के बारे में बात करना मुनासिब नहीं समझा और चुनाव जीत कर काबिना मंत्री बनने के बाद भी इस प्रकरण की कोई सुध नहीं ली। पुजारी विजयशंकर मिश्रा का आरोप है कि मंत्री जी युं तो भाषणों में बड़ी बड़ी बाते करते हैं, सुजानगढ़ की बसावट के साथ बने नगर सेठ के नाम से प्रसिद्ध मन्दिर से हुई मूर्तियों की चोरी के बारे में धरातल पर आज तक कुछ नहीं किया, अगर कुछ करते तो शायद परिणाम कुछ और होते। प्रकरण में 22 दिसम्बर को तत्कालीन एएसपी राजकुमार चौधरी ने मन्दिर पंहूचकर 31 दिसम्बर तक चोरी का खुलासा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज पांच साल बाद भी आश्वासन सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही है।
इस सम्बन्ध में सुजानगढ़ के व्यापार मण्डलों, सामाजिक संगठनों, अभिभाषक संघ द्वारा समय -समय पर ज्ञापन देकर सरकार एवं प्रशासन से मूर्ति चोरों को पकडऩे तथा मूर्तियों की बरामदगी की मांग की थी। इसी मांग को लेकर 6 अप्रेल 2015 को पुलिस थाने के समक्ष धरना भी दिया गया था, जिसमें सर्व समाज, व्यापारिक संगठन एवं सामाजिक संगठन शामिल हुए। लेकिन नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात वाला रहा। 07 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन एसपी राहूल बारहठ ने मन्दिर पंहूच कर मौका मुआयना किया और नई टीम का गठन कर जल्द ही चोरी का खुलासा करने का आश्वासन दिया। 16 फरवरी 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के गोपालपुरा आगमन पर उन्हे स्वयं को सर्व समाज एवं पुजारी परिवार ने ज्ञापन सौंपकर चोरी का खुलासा करने की मांग की थी। लेकिन नतीजा शिफर रहा, और ज्ञापन अन्य ज्ञापनों के साथ ही कागज के ढ़ेर में चला गया। अनेक जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपने एवं प्रतिनिधि मण्डल स्तरीय वार्ता करने के बाद आज भी नगरवासियों को भगवान लक्ष्मीनाथ की अष्टधातू की मूर्ति सहित चोरी गई सभी चारों मूर्तियों का इंतजार है।
इन जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने किया था मन्दिर का दौरा
वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, वर्तमान शिक्षा मंत्री गोविन्दसिंह डोटासरा, वर्तमान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मा. भंवरलाल मेघवाल, तत्कालीन विधायक खेमाराम मेघवाल, तत्कालीन वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री राजकुमार रिणवां, सांसद राहूल कस्वां, तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक राहुल बारहठ, तत्कालीन एएसपी चूरू राजकुमार चौधरी ने मन्दिर पंहूच कर घटना की जानकारी ली तथा जल्द से जल्द प्रकरण का खुलासा करने का आश्वासन दिया।
इन्हे सौंपा व प्रेषित किया गये थे ज्ञापन
मन्दिर से मूर्ति चोरी होने के बाद शहर के व्यापारिक संगठनों एवं सामाजिक संगठनों तथा पुजारी परिवार द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, डॉ. प्रवीण भाई तोगडिय़ा, तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, तत्कालीन चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़, आई. जी. बीकानेर, तत्कालीन बीकानेर सांसद सिद्धि कुमारी, तत्कालीन देवस्थान विभाग मंत्री अमराराम चौधरी, तत्कालीन सांगानेर विधायक घनश्याम तिवाड़ी, तत्कालीन खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल, आयुक्त देवस्थान विभाग को ज्ञापन सौंपे गये एवं उन्हे प्रेषित कर प्रकरण का खुलासा करने की मांग की गई। लेकिन आज पांच साल बाद भी बात वहीं की वहीं है।
इन संगठनों ने सौंपे थे ज्ञापन
मन्दिर में मूर्ति चोरी के बाद शहर के व्यापारिक संगठनों, सर्वसमाज व पुजारी परिवार के साथ ही अभिभाषक संघ, श्री मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार सभा, कपड़ा व्यापार संघ, मुस्लिम युवा जमाअत, छींपा समाज, कपड़ा व्यापार संघ, मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी, समाजवादी पार्टी, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा, रावणा राजपूत सभा, पीपा क्षत्रिय समाज सभा, विश्व हिन्दू परिषद सहित कस्बे के अनेक संगठनों ने विभिन्न जनप्रतिनिधियों, राजनेताओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों को समय-समय पर ज्ञापन सौंपकर प्रकरण का खुलासा करने की मांग की थी।
देवस्थान विभाग ने नहीं ली सुध
शहर का सबसे पुराना लक्ष्मीनाथ मन्दिर देवस्थान विभाग के अधीन है, लेकिन मन्दिर से भगवान लक्ष्मीनाथ की अष्टधातू की मूर्ति सहित चार मूर्तियों और आभूषणों की चोरी होने के पांच साल बाद भी आज दिन तक देवस्थान विभाग ने इस प्रकरण में कोई सुध नहीं ली। ना तो विभाग के अधिकारियों ने और ना ही विभाग के मंत्री ने गृह मंत्री एवं पुलिस के आला अधिकारियों से मुलाकात कर मूर्ति चोरी की जांच में तेजी लाने के लिए कोई पत्र लिखा है और ना ही कोई इस बारे में बात की है। जबकि इस बारे में पुजारी परिवार ने अनेक बार देवस्थान विभाग से पत्र व्यवहार किया तथा मन्दिर में सीसीटीवी कैमरे लगवाने की मांग भी की थी। लेकिन विभाग ने पत्रों को पता नहीं किस रद्दी की टोकरी में डाला कि आज तक उनकी कोई सुध नहीं ली गई।
सीसीटीवी कैमरों की घोषणा कर भूले सांसद
मन्दिर में मूर्ति चोरी के बाद नौ अप्रेल 2015 को सांसद राहूल कस्वां ने मन्दिर पंहूच कर घटना की जानकारी ली तथा भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृति नहीं हो, इसके लिए सांसद कोटे से सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी घोषणा की थी, जो राजनेताओं की अन्य घोषणाओं के समान केवल घोषणा ही रही और आज तक मन्दिर में ना तो सीसीटीवी कैमरे लगे और ना ही सांसद महोद्य ने वापस मन्दिर का रूख किया।
बेदी ने की थी पुरूस्कृत करने की घोषणा
अहिंसा विकास मंच के अध्यक्ष सुभाष बेदी ने 07 अप्रेल 2015 को मूर्तियों की बरामदगी करवाने वाले अधिकारी को 11000 रूपये नगद पुरूस्कार देने की घोषणा की थी। जिसकी प्रतिलिपी डीजीपी व आईजी को भी भेजी गई थी।
पुजारी परिवार ने की थी सीबीआई जांच की मांग
तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के गोपालपुरा आगमन एवं तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया से जयपुर में मुलाकात कर एवं राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित कर पुजारी परिवार ने मूर्ति चोरी प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग की थी। लेकिन तत्कालीन सरकार ने पुजारी परिवार की इस मांग को भी अनसुना कर दिया।