साहित्य अकादेमी नई दिल्ली और मरुदेश संस्थान सुजानगढ़ की ओर से बुधवार को महाकवि कन्हैयालाल सेठिया के जन्मशती समारोह के तहत दो दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। संगोष्ठी के शुभारंभ पर स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए साहित्य अकादेमी नई दिल्ली के सचिव डॉ. के. श्रीनिवास राव ने कहा कि जन मन के कवि कन्हैयालाल सेठिया का मातृ भूमि से गहरा जुड़ाव था। उन्होंने कहा कि सेठिया के साहित्य में लोक मंगल निहीत है।
उन्होंने जब भी कोई राष्ट्रीय समस्या हुई या मानवता पर कोई संकट आया तब-तब अपनी ओजपूर्ण भाषा से काव्य के माध्यम से जनचेतना को जागृत किया। उन्होंने कहा कि देश की आजादी में और आजादी के बाद कन्हैयालाल सेठिया का राष्ट्र को जो योगदान है, वो सदैव स्मरण रखा जाएगा और साहित्य अकादमी उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। जन्म शत वार्षिकी संगोष्ठी के मुख्य अतिथि भारत सरकार के राष्ट्रीय नाट्य अकादेमी के चेयरमैन डॉ.अर्जुनदेव चारण ने कहा कि कन्हैयालाल सेठिया का दृष्टिकोण मानवता वादी था और उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से मानवीयता के पक्ष को मजबूत किया है। वे राजस्थान की वीर वसुंधरा के ऐसे जनकवि हुए हैं, जिनके जीवनकाल में ही उनके लिखे गीत लोकगीत बन गए। कार्यक्रम के अध्यक्ष दूरदर्शन के पूर्व निदेशक व वरिष्ठ कवि नंद भारद्वाज ने कहा कि सेठिया का साहित्य प्रेरणास्पद व पथ प्रदर्शक भी रहा है। उनका सोचने विचारने और लिखने का ढंग सबसे अलग था। उनके मन में मातृ भूमि और मातृ भाषा के प्रति पीड़ा सदैव परिलक्षित होती रही।
समारोह में बीज वक्तव्य देते हुए राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल साहित्य अकादेमी के संयोजक मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि कन्हैयालाल सेठिया के 100 वें जन्मदिन पर उनकी निजी हवेली में समारोहपूर्वक आयोजित करना अपने आप में एक अनूठी पहल और किसी कवि को सच्ची श्रद्धाजंलि है। उन्होने कन्हैयालाल सेठिया की स्मृति को चिरस्थाई बनाने की मांग करते हुए उनकी मातृ भूमि सुजानगढ़ में उनके नाम से कोई संग्रहालय बनाने की भी बात कही। समारोह में कन्हैयालाल सेठिया फ ाउंडेशन कोलकता के मुख्य न्यासी और सेठिया के पुत्र जयप्रकाश सेठिया ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि कन्हैयालाल सेठिया का परिवार बहुत विस्तृत है।
वे केवल उनके जैविक पुत्र है, बल्कि उनके असली वंशज तो वे सभी सरस्वती पुत्र है, जो उनके सृजन को निरंतर आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। अकादमी के भाषा परामर्श मंडल के सदस्य प्रो. भंवरसिंह सामौर ने आभार व्यक्त किया। प्रथम सत्र का संचालन मरुदेश संस्थान के अध्यक्ष डॉ.घनश्याम नाथ कच्छावा ने किया। अतिथियों का स्वागत संस्थान के किशोर सैन, सुमनेश शर्मा, रतनलाल सैन, पूनमचंद सारस्वत, सिद्धार्थ सेठिया, सी.ए. हनुमानमल सेठिया, विद्याधर पारीक, कन्हैयालाल डूंगरवाल, गिरधर शर्मा, शम्सूदीन स्नेही, बजरंगलाल जेठू आदि ने किया।
पुस्तकों का हुआ विमोचन
कार्यक्रम में सुजानगढ़ की पूर्व प्रधानाचार्य पुष्पलता शर्मा के हाइकू संग्रह अक्षर आकाश, बीकानेर की कॉलेज व्याख्याता डॉ. संजू श्रीमाली की पुस्तक कविवर कन्हैयालाल सेठिया का काव्य दर्शन व लाडनूं के लेखक डॉ. विरेंद्र भाटी मंगल की पुस्तक महिला और मानवाधिकार सहित बीकानेर के मईनुदीन कोहरी नाचीज बीकानेरी की अनमोल बेटियां हिंदी राजस्थानी कविता संग्रह का विमोचन अतिथियों ने किया।
सेठिया के साहित्य पर हुए आलेख पाठ
समारोह के प्रथम सत्र में वरिष्ठ लेखक डॉ. मंगल बादल की अध्यक्षता में बीकानेर की डॉ. उषा करण सोनी ने सेठिया के व्यक्तित्व व कृतित्व, नोहर के हाकम अली नागरा ने सेठिया का आधुनिक राजस्थानी कविता का अवदान व डूंगरगढ़ के डॉ. चेतन स्वामी ने सेठिया के काव्य दर्शन पर पत्रवाचन किया। संध्याकालीन दूसरे सत्र में कोटा के सम्मानित लेखक डॉ. अंबिकादत्त की अध्यक्षता में राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के डॉ. जगदीश गिरी ने सेठिया के राजस्थानी काव्य का रचना विधान, परलिका गांव के विनोद स्वामी ने सेठिया के राजस्थानी काव्य के जनवादी पक्ष और पूर्व कॉलेज व्याख्याता डॉ. मदन सैनी ने सेठिया के राजस्थानी काव्य के कला पक्ष पर पत्रवाचन किया। दोनों सत्रों का संचालन नगेंद्र किराडू व रतनलाल सैन ने किया।