”धरती धोरा रीÓÓ और ”पाथल-पीथलÓÓ जैसे अमर गीतो के रचियता साहित्य मनीषी महाकवि कन्हैयालाल सेठिया की जन्म शताब्दी उनकी मातृभूमि पर समारोह पूर्वक मनायी जाएगी। इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने बताया कि कन्हैयालाल सेठिया के शताब्दी वर्ष में श्रृंखलाात्मक रूप से पूरे वर्ष भर कार्यक्रम आयोजित किए जाएगें। जिसके तहत हर माह एक साहित्यिक आयोजन आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। साथ ही सुजानगढ़ के विभिन्न विधालयों में सेठिया का चित्र लगाया जाएगा ताकि क्षेत्र के विधार्थी उनके बारे में अनभिज्ञ नहीं रहे। इसके साथ ही उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर विनिबन्ध की एक पुस्तक प्रकाशनाद्यीन है। साथ ही उनकी मूर्ति और उनके ऊपर डाक टिकिट के लिए कार्यवाही की जा रही है।
इस वर्ष 11 सितम्बर को उनके एक सौ वें जन्म दिवस पर साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली और मरूदेश संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में कन्हैयालाल सेठिया जन्मशती वार्षिकी पर द्वि दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन उनकी पैतृक हवेली में किया जा रहा है। दो दिवसीय इस आयोजन के पांच सत्रों में देश के नामचीन कवि साहित्यकार, लेखक कन्हैयालाल सेठिया के साहित्यिक अवदान पर चर्चा करेगें। ज्ञातव्य है कि 11 सितम्बर 1919 को सुजानगढ़ में जन्में कन्हैयालाल सेठिया को भारत सरकार ने ”पदमश्रीÓÓ और राजस्थान सरकार ने ”राजस्थान रतनÓÓ सम्मान प्रदान किया था। आपकी हिन्दी, राजस्थानी व ऊर्दू रचनाओं का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हुआ था। सेठिया एक प्रखर समाजसेवी व स्वतंत्रता सैनानी रहे। उनकी जन्म शताब्दी की तैयारियों को लेकर आयोजको में उत्साह है।