सरकारी विभागों में आपसी समन्वय नहीं होने का खामियाजा आम जन को भुगतना पड़ रहा है। अधिकारियों की घोर लापरवाही एवं आपसी समन्वय के कारण नई बनी हुई सडक़ों को तोड़ा जा रहा है। एक विभाग सडक़ बना रहा है तो दूसरा उसे तोड़ रहा है। यह बानगी शहर के एक मौहल्ले या वार्ड की नहीं है, यह पूरे शहर के हालात हैं। शहर में आपणी योजना के तहत पानी की पाईप लाईनें डाली गई है, जिनके घरों में कनेक्शन भी कर दिये गये हैं, लेकिन समय पर पाईप लाईनों की चैकिंग नहीं हुई और सीवरेज वालों ने अपना काम पूरा कर उस पर नई सडक़ बना दी। सडक़ बनने के बाद आपणी योजना की सप्लाई लाईनों में लीकेजे की समस्या आने पर लीकेज ठीक करने के नाम पर सडक़ों को जगह-जगह से तोड़ा जा रहा है तथा तोडऩे के बाद उन्हे उसी हालत में छोड़ दिया जाता है। विभाग द्वारा उस तोड़े गये स्थान की मरम्मत नहीं की जाती है।
जिसके कारण बरसात या नाली का पानी गढ्ढे में आने से गढ्ढे की मिट्टी पोली यानि की थोथी हो जाती है और अचानक ही कोई ना कोई वाहन सवार उस पोली हुई मिट्टी के धंसने के कारण सडक़ पर गिर कर चोटिल हो जाता है। अनेक पार्षदों ने बताया कि उन्हे इस सम्बन्ध में आपणी योजना एवं जलदाय विभाग के सहायक अभियन्ता कैलाश सैनी को कई बार अवगत करवाया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है। पार्षदों का आरोप है कि आपणी योजना के तहत डाले गये पाईप कमजोर एवं गुणवता परक नहीं होने के कारण थोड़े से प्रेशर में ही फट जाते हैं। सडक़ बनने के बाद पाइप फटने से अन्दर ही अन्दर लीकेज होने के कारण कई दिनों तक तो इसका पता ही नहीं चलता है। पता तो तब चलता है जब उस स्थान से सडक़ धंस जाती है। वहीं शहर में चर्चा है कि विभागों में सामंजस्य के अभाव का खामियाजा आखिर जनता कब तक भुगतेगी?