विश्व तम्बाकु निषेध दिवस पर ताल्लुका विधिक सेवा समिति के तत्वाधान में बीदासर के अम्बेडकर भवन में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामपाल जाट ने उपस्थित जनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1987 में 31 मई को विश्व तम्बाकु निषेध दिवस मनाने की शुरूआत की थी। जिसका उद्देश्य आम जन तम्बाकु से होने वाले नुकसान को जाने और तम्बाकु और इससे बने पदार्थों से दूर रहे। एडीजे ने कहा कि तम्बाकु एक धीमे जहर की तरह होता है, जो उपयोग करने वाले को धीरे-धीरे मौत के मुंह की ओर धकेलता है। जिससे व्यक्ति की मानसिक व सामाजिक स्थिति पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है।
जाट ने बताया कि तम्बाकु में उत्तेजना पैदा करने वाला निकोटिन नामक पदार्थ होता है, जो मनुष्य के लिए सबसे घातक है। इस अवसर न्यायिक मजिस्ट्रेट विनयकुमार सोलंकी ने बताया कि तम्बाकु सेवन से गला, मुंह, श्वासनली व फेंफड़ों का कैंसर एवं दिल की बिमारियों का जन्म होता है, जिसका प्रभाव आने वाली पीढिय़ों में भी दिखाई देता है। सोलंकी ने कहा कि व्यक्ति को खुद को धूम्रपान न करने के लिए तैयार करे तथा समाज में जागरूकता फैला कर दूसरों को भी धूम्रपान करने से रोके। मेडिसीन व मनोचिकित्सकों की सलाह लेकर इस लत से छुटकारा पाया जा सकता है। ताल्लुका विधिक सेवा समिति की सचिव कविता भाम्भू ने उपस्थितजनों को संकल्प दिलाया कि वे खुद भी नशा नहीं करेंगे और अन्य लोगों को भी नशा नहीं करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।