सात साल पुराने हत्या के मामले में आये एडीजे न्यायालय के निर्णय से हर कोई अचम्भित और उदास है। न्यायालय ने अपने निर्णय में हत्या के चारों आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने के साथ जांच अधिकारी के खिलाफ टिप्पणी करते हुए प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही के लिए आदेश की प्रति बीकानेर आईजी को प्रेषित करने के आदेश दिये हैं। विगत तीन दिनों से महेश माली हत्याकाण्ड में आने वाले फैसले का सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लेकिन शनिवार दोपहर को ज्यों ही न्यायालय का निर्णय आया, हर कोई स्तब्ध हो गया। किसी को इस प्रकार के निर्णय की उम्मीद नहीं थी। न्यायालय ने भी अपने फैसले में इस बात को स्वीकार किया है कि प्रकरण नृशंस हत्या से सम्बन्धित है और इसमें जांच अधिकारी ने आत्मघाती कमियां की है और आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी जोडऩे में विफल रहे हैं।
न्यायालय ने अपने निर्णय में साफ -साफ लिखा है कि जांच अधिकारी तत्कालीन सीआई जगदीश बोहरा ने घटना की सूचना देने वाले सूचना प्रदाता के ना तो बयान लिये और ना ही उससे किसी प्रकार की जांच की। न्यायालय में सवाल जवाब के दौरान बोहरा ने स्वीकार किया कि उसे याद नहीं है कि मृतक की शिनाख्त किन-किन व्यक्तियों ने की और उनसे घटना स्थल और अनुसंधान के दौरान बयान लिये गये या नहीं लिये गये। न्यायालय ने अपने निर्णय में लिखा है कि अन्वेषण अधिकारी ने न केवल अन्वेषण में कमियां रखी है, बल्कि अन्वेषण प्रारम्भ किये जाने से पूर्व ही इस मामले को धराशायी करना प्रारम्भ कर दिया और इस प्रकार त्रुटिपूर्ण अन्वेषण किया गया है कि साक्ष्य अपने आप में विरोधाभासी हो गये है और जो महत्वपूर्ण साक्ष्य थे उनको विलोपित किया गया है।
न्यायालय ने जांच अधिकारी द्वारा मौके से पदचिन्ह नहीं उठाने, खून से सने सामान की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच नहीं करवाने और बिना रिपोर्ट या मर्ग दर्ज किये अस्पताल की मोर्चरी में शव को रखवाना, नामजद आरोपियों से अनुसंधान नहीं करना, आरोपियों के मोबाईल पर संयोजन के सम्बन्ध में कोई प्रमाणीकरण नहीं करवाना तथा थाने के मालखाने में जमा को आरोपियों से बरामद दिखाकर आरोप पत्र पेश करने को अभियोजन द्वारा स्वयं ही कहानी को ध्वस्त करना माना है।
यह था प्रकरण
प्रकरणानुसार 16 मार्च 2012 को मेगा हाईवे रोड़ के नजदीक विरेन्द्र के प्लॉट के पास संदिग्ध मोटरसाइकिल होने की सूचना पर तत्कालीन सीआई जगदीश बोहरा मय जाप्ते के मौके पर पंहूचे। मौके पर पंहूचने पर वीरेन्द्र के प्लॉट में खुन से सनी लाख मिली, जिसकी शिनाख्त महेश माली के रूप में हुई। उसके बाद मृतक के भाई कमलकिशोर की रिपोर्ट पर आरोपी मुकेश उर्फ मिक्कू उर्फ श्यामसुन्दर, रवि पंवार, सदीक खान एवं अतुल सोनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। उसके बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया। जिसमें मुकेश को छोड़ कर सभी आरोपी जमानत पर बाहर थे। पुलिस ने न्यायालय में चालान पेश कर दिया। एडीजे रामपाल जाट ने दोनो पक्षों के गवाहों और बहस को सुनने के बाद शनिवार को सभी चारों आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
अभी डेगाना डीएसपी है बोहरा
प्रकरण की जांच कर रहे जांच अधिकारी तत्कालीन सीआई जगदीश बोहरा, पदोन्नति के बाद वर्तमान में नागौर जिले के डेगाना में पुलिस उप अधीक्षक के पद पर तैनात है। इस पूरे प्रकरण में न्यायालय ने बोहरा की भुमिका पर संदेह व्यक्त किया है।
फैसले के बाद मृतक के परिवार को रो-रो कर हुआ बुरा हाल
एडीजे कोर्ट में फैसला सुनने आए मृतक के भाई हेमराज भाटी व कमल ने ज्यों ही एडीजे रामपाल जाट के मुंह से फैसला सुना तो उनके पैरो तले से जमीन खिसक गयी। न्यायालय का फैसला आने के बाद न्यायालय परिसर में ही मृतक महेश के भाई हेमराज व कमलकिशोर रोने लग गए। वहीं इस निर्णय के बाद से ही मृतक महेश की मां चम्पादेवी का भी रो-रो कर बुरा हाल है। मृतक के भाई हेमराज ने बताया कि मेरे भाई की हत्या करने वाले आरोपियों को आज कोर्ट द्वारा बरी कर दिया गया है जिससे हम संतुष्ट नही है।
मृतक की मां एवं भाई ने कहा कि हमें न्याय नहीं मिला है और न्याय के लिए हम उच्च न्यायालय जायेंगे और वहां पर न्याय की गुहार लगायेंगे तथा हमारे महेश को न्याय दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे। माँ ने कहा कि जब 4 जनों द्वारा मिलकर मेेरे बेटे की हत्या कर दी और कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया तो फिर मेरे पुत्र की हत्या किसने की। इस फैसले के बाद मृतक की माँ के आंख से आंसु रूक नही रहे थे।