ताल्लुका विधिक सेवा समिति के तत्वाधान में बाल भारती विद्यापीठ उच्च माध्यमिक विद्यालय में बाल विवाह रोकथाम के लिए विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का अध्यक्षता करते हुए अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश रामपाल जाट ने कहा कि समाज में दूर-दराज के इलाकों में अशिक्षा, रूढि़वादिता, अंधविश्वास व निम्न आर्थिक स्थिति के कारण बाल विवाह अभी भी हो रहे हैं। जिससे शिशु व मातृ मृत्यु दर तथा शारीरिक व मानसिक विकास पूर्ण नहीं हो पाता है।
इस अवसर पर न्यायिक मजिस्ट्रेट विनय कुमार सोलंकी ने कहा कि बाल विवाह रोकने के लिए सरकार द्वारा बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 बनाया गया, ये अधिनियम बाल विवाह को आंशिक रूप से सीमित करने के स्थान पर इसे सख्ती से प्रतिबन्धित करता है, जिसमें 18 वर्ष की आयु की लड़की व 21 वर्ष से कम आयु के लड़के का विवाह अपराध है एवं बाल विवाह करने वालों, करवाने वालों एवं बाल विवाह में शामिल होने वालों को दो वर्ष के कठोर कारावास एवं एक लाख रूपये के जुर्माने से दण्डित किए जाने का प्रावधान है।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक महेन्द्रसिंह देवल ने कहा कि समाज में जागरूकता फैला कर, शिक्षा का प्रसार करके हम बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त कर सकते हैं। आयोजन को सफल बनाने में न्यायिक कर्मचारी प्रेमकिशोर चौहान व कविता भाम्भू ने अपना योगदान दिया।