सावन माह के अंतिम सोमवार को चंद्र ग्रहण होने पर शहर के मन्दिरों एवं धार्मिक स्थलों पर भजन संध्याओं एवं हरिनाम संकीर्तन का आयोजन किया गया। मांडेता स्थित श्री काशीपुरीश्वर महादेव मंदिर में पूरे श्रावण मास से चल रही शिवपूजा के पश्चात् आज हवन एवं पूर्णाहुति कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें महंत स्वामी कानपुरी महाराज के सानिध्य में भोमाराम बिजारणिया, गोपाल प्रजापत, राजकुमार इंदोरिया, बाबूलाल टाक, महेश माली, पवन जोशी, बजरंगलाल शर्मा, अभिषेक पारीक आदि ने सपत्नीक पूर्णाहुतियां दीं। पं. प्रहलादराय लाटा, सिद्धार्थ लाटा ने यज्ञ में आहुतियां विधि विधानपूर्वक सम्पन्न करवाई। उसके बाद भंडारा प्रसाद का आयोजन किया गया। जिसमें सैंकड़ो भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में टीकमचंद मंडा, संपत पथानिया, बजरंगलाल जांगिड़, संपत पथानिया, पंडित रामगोपाल पारीक आदि ने योगदान दिया।
इसी प्रकार गत रात्रि को भजन संध्या का आयोजन भी किया गया, जिसमें तारानगर के सीताराम दर्जी ने गणेश वंदना, सरस्वती वंदना, गुरू वंदना से कार्यक्रम की शुरूआत की। उसके बाद स्वामी कानपुरी महाराज ने – भोलेनाथ से निराला जग में और ना रे.., कैलाश के निवासी .., श्री गुरूवचन हृदय जो लावे.., हे बजरंगबली हनुमान.., मैं क्या जानूं राम तेरा गोरखधंधा.., प्रभुजी म्हानें चाकर राखे जी.. सहित अनेक भजनों की प्रस्तुतियां दी। तबले पर संगत रामानंद ने की। भजन संध्या में शंकर सामरिया, घनश्यामनाथ कच्छावा, सुभाष बैदी, किशोर सैन, पार्षद श्यामलाल गोयल, मधुसूदन शर्मा, भाजपा नेता यशोदा माटोलिया, जयप्रकाश शर्मा, प्रवीण, गिरधारीलाल बुगालिया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। इसी प्रकार श्री गोपाल गौशाला में भी भजन संध्या का आयोजन किया गया।
भजन संध्या में श्याम सखा मण्डल के नरेन्द्र कुमार काछवाल एण्ड पार्टी ने भजनों की सुमधुर प्रस्तुतियां दी। आयोजन को सफल बनाने में गौशाला अध्यक्ष माणकचन्द सराफ, मंत्री महावीर प्रसाद बगडिय़ा, सुभाष बगडिय़ा, पवन दादलिका, रामगोपाल बगडिय़ा, सहित अनेक कार्यकर्ताओं ने अपना योगदान दिया। इसी प्रकार जाट मन्दिर में भी भजन संध्या का आयोजन हुआ। जहां पर कलाकारों ने भजनों की शानदार प्रस्तुतियां दी। इसी प्रकार दुलियां बास स्थित सिद्धश्री संकट मोचन हनुमान मन्दिर में सत्संग का आयोजन हुआ। सत्संग में अनेक श्रद्धालुओं ने हरिनाम संकीर्तन किया। इसी प्रकार शहर के मौहल्लों में अनेक स्थानों पर चंद्र ग्रहण के दौरान महिलाओं ने एक जगह बैठ कर भजन गाये और कीर्तन किया।