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समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि सुजानगढ़ राजस्थान में कोई स्वामी अच्युतानन्द तीर्थ अपने आपको शारदापीठाधीश्वर-द्वारका कहकर समस्त सनातनधर्मी हिन्दुओं को दिग्भ्रमित कर रहें हैं । इनके इस कुचक्र में सुजानगढ़ गांधी आश्रम के अध्यक्ष श्री सुभाष वेदी एवं स्वागतकत्र्ता श्री मोहनलाल वेदी जैसे लोग सम्मिलित होकर देश में नकली शंकराचार्यों को बढ़ावा दे रहें । सनातनधर्म की रक्षा के लिए आपको स्वामी अच्युतानन्द तीर्थ जैसे छद्मवेषधारी शंकराचार्यों से बचना चाहिए ।
आज से लगभग २५२४ वर्ष पहले सनातनधर्म की रक्षा के लिए भगवान् शज्र्र ने श्रीमदाद्यशंकराचार्य के रूप में अवतार ग्रहण कर चार वेदों के आधार पर भारत की चारों दिशाओं में चार आम्नाय पीठों की स्थापना करके अपने चार सुयोग्य शिष्यों को जगद्गुरु शंकराचार्य की पदवी प्रदान किया था, जिसमें प्रथम पश्चिम दिशा में श्रीशारदापीठम् द्वारका गुजरात, द्वितीय पूर्व दिशा में गोवर्धनमठ पुरी उड़ीसा, तृतीय उत्तर दिशा में ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम हिमालय एवं चतुर्थ दक्षिण दिशा में शृङ्गेरीशारदापीठम् शृङ्गेरी कर्नाटक है । वर्तमान में पश्चिमाम्नाय शारदापीठाधीश्वर एवं उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज, पूर्वाम्नाय पुरीपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज एवं दक्षिणाम्नाय शृङ्गेरीशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री भारती तीर्थ जी महाराज विराजमान हैं ।
[नोट: इस संबंध में अधिक जानकारी आप अधोहस्ताक्षरकर्ता से प्राप्त कर सकते हैं । ]
(ब्रह्मचारी नारायणानन्द)
उपाध्यक्ष,
श्रीशारदापीठम् द्वारका (गुजरात)
श्री शारदापीतम द्वारका -361335
देवभूमि – द्वारका
फोन . 02892-235109
फ़ैक्स : 02892-234457

उपाध्यक्ष,
श्रीशारदापीठम् द्वारका (गुजरात)

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