आखिर कोई कब लेगा मौहल्लेवासियों एवं स्कूली बच्चों की सुध?

नवजीवन के लिए प्रसुता को अस्पताल ले जाना हो या अंतिम संस्कार के लिए शव यात्रा ले जानी हो शहर के दुलियां बास स्थित दुलियां स्कूल की गली के वाशिंदों के सामने सुरसा के मुंह के समान समस्या मुंह बाये खड़ी हो जाती है, आखिर नवजीवन का अवतरण करवाने वाली प्रसुता को अस्पताल या अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जाये तो कैसे? बुधवार को गली के मघाराम व चनणमल प्रजापत की माता जी श्रीमती किशनीदेवी का 95 वर्ष की आयु में निधन होने पर उनकी शव यात्रा को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने के लिए मौहल्लेवासियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। इससे पूर्व करीब दो माह पूर्व ही मघाराम प्रजापत की पुत्रवधु को डिलेवरी के लिए अस्पताल ले जाने के लिए मुख्य सडक़ तक परिजनों को गोद में लेकर आना पड़ा, कारण नाले के कारण टैम्पू गली में नहीं आता-जाता है। वहीं कुछ दिन पहले जुंझारमल प्रजापत को भी पुत्रवधु के डिलीवरी के समय काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। नगरपरिषद की अनदेखी के चलते दुलियां स्कूल की गली के वाशिंदे विगत 6 माह से परेशान है। आयुक्त से लेकर कलेक्टर तक, सभापति से लेकर विधायक तक सब जगह गुहार लगा चुकने के बाद भी हालात ढ़ाक के वही तीन पात वाली है।

गली के अंत में सरकार द्वारा संचालित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढऩे वाले बच्चे नाले में गिरते पड़ते स्कूल जाते हैं। लेकिन नगरपरिषद सहित ऊपर तक पूरा प्रशासन कुम्भकर्ण की नींद सोये हुए है, किसी अनहोनी घटना का इंतजार कर रहा है। जाम निकालने के नाम पर खोले गये नाले को 6 महीने बाद भी नगरपरिषद द्वारा ठीक नहीं करवाया गया है। वहीं स्कूल प्रबंधन का गंदे पानी को स्कूल के खेल मैदान में डालने का आरोप है। विद्यालय के प्रधानाचार्य मालाराम बिस्सू ने बताया कि स्कूल के मुख्य द्वार के चिपते ही नाला खुला होने से बच्चों की सुरक्षा का खतरा बना हुआ है। इस विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक की कक्षा में एक सौ इकसठ बच्चों का नामांकन है। विद्यालय के शिक्षक हरिराम गोदारा ने बताया कि विद्यालय का खेल मैदान नगरपरिषद के नाले के गन्दे पानी का मैदान बनता जा रहा है। गोदारा ने बताया राज्य सरकार के पोर्टल में शिकायत करने पर भी समस्या का समाधान नही हुआ है।

गोदारा ने बताया कि नाले के गन्दे पानी से स्कूल का खेल मैदान गन्दे पानी की गैनाणी बनता जा रहा जिसका प्रतिकूल असर विद्यालय भवन पर पड रहा है। नगरपरिषद को शिकायत करने पर आयुक्त एवं सभापति नाले निर्माण के टेडर होने की बात कह कर इतिश्री कर लेते है। गोपाल प्रजापत, जुंझारमल प्रजापत, हरिप्रसाद चोटिया, इकबाल मणियार ने बताया कि नगरपरिषद को लिखित में नाला निर्माण करवाने की मांग करते हुए बार बार आयुक्त व सभापति को किये जाने के बाद भी परिणाम ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। नाले की बदबू से लोग को नारकीय जीवन व्यतीत करने को मजबूर है और घरो से निकलना भी दुश्वार हो रहा है। नाले का गन्दा पानी घरो में घुस जाता है। मौहल्लेवासियों के अनुसार नाले के कारण मौहल्लेवासी अपने छोटे छोटे बच्चों को राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में भेजने से भी कतराते है।

इनका कहना है-
नाले का निर्माण करवाने के लिए टेण्डर की प्रकिया शुरू हो गई और अमृत योजना के तहत सीवरेज का कार्य होना प्रस्तावित है अमृत योजना के टेण्डर की प्रक्रिया पूरी हो गई है। लेकिन अधिकारियों के रिक्त पदों के कारण विकास कार्य की रफ्तार धीमी है। अखिलेश पारीक ओ. ए. नगरपरिषद सुजानगढ

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here