मांडेता स्थित स्वामी कानपुरी सेवाश्रम में श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतर्राष्ट्रीय मंत्री स्वामी श्री महंत परशुरामगिरी महाराज ने धर्मसभा को सम्बोधित किया। परशुराम गिरी महाराज ने कहा कि आज देशभर में भागवत् व रामायण के वक्ता बहुत हैं, श्राोता करोड़ों में हैं, फिर भी देश में अब तक अपराधों में कमी नहीं आने का एक मात्र कारण अनुसरण का अभाव है। महाराज ने कहा कि जब तक हम सही शिक्षाओं का अनुसरण नहीं करेंगे, तब तक मनुष्यता का कल्याण नहीं हो सकता। महाराज ने कहा कि मनुष्य जन्म, मुक्ति की राह और संतो की संगत मिलना दुर्लभ है। गुरू वाक्यं सदा सत्यम् के सिद्धांत को प्रतिपादित करते हुए उन्होंने कहा कि जहां संतो का सम्मान होता है वहां सामाजिक सद्भाव अपने आप ही आता है।
मांडेता आश्रम के महंत स्वामी कानपुरी महाराज ने आयोजकीय पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संतो का संगम पवित्र धरती पर होता है और संतो की सेवा युगों के पुण्य के बाद प्राप्त होती है। अत: हमें गुरू की शिक्षाओं का अनुसरण करना चाहिए। सुभाषचन्द्र बैदी ने स्वागत भाषण दिया। इससे पहले परशुरामगिरी महाराज का विनोद कुमार गोठडिय़ा, शंकर सामरिया, सुभाषचन्द्र बेदी, पन्नाालाल प्रजापत, नमो सेना इंडिया के सुभाष खुडिय़ा, बजरंगलाल बोदलिया, पवन जोशी, यशोदा माटोलिया, टीकमचंद मंडा, जयप्रकाश माटोलिया, संतोष प्रजापत, शरद सामरिया, श्रवण सुरोलिया, अशोक प्रजापत, पूनम, ममता बुगालिया आदि ने पुष्पमाला अर्पित कर किया।