अपनी भुमिका पर शिक्षकों को गहन मंथन की आवश्यकता – प्रो. बच्छराज दुग्गड़

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राजकीय महाविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान के सौजन्य से आयोजित छ: दिवसीय शोध कार्यप्रणाली विषयक कार्यशाला का समापन हुआ। कार्यशाला संयोजिका विनिता चौधरी ने बताया कि प्राचार्य प्रो. एम. वाई. मुल्तानी की अध्यक्षता एवं जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दुग्गड. के मुख्य आतिथ्य में आयोजित समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार एवं शिक्षाविद डॉ. वी. के. कक्कड़ थे। मुख्य अतिथि प्रो. बच्छराज दुग्गड. ने संभागियों से आह्वान किया कि वैश्वीकरण के इस युग में शिक्षकों को समाज में परिवर्तन के कर्णधार बनने के लिए अपनी भूमिका पर गहन मंथन की आवश्यकता है।

कार्यशाला को समसामयिक कार्यक्रम बताते हुए उन्होने कहा कि ऐसे कार्यक्रम शिक्षकों में विद्यार्थियों की क्षमता परखने की कला में वृद्धि करते है। कार्यशाला के अध्यक्ष एवं इससे पूर्व उपाचार्य श्री अग्रवाल ने अतिथियों के स्वागत में विचार व्यक्त किये। विशिष्ट अतिथि डॉ. वी. के. कक्कड़ ने संभागी शिक्षकों से कहा कि उन्हें कक्षा अध्यापन के पारम्परिक कार्य से बाहर आना विकास में योगदान देना होगा। समापन कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. एम. वाई. मुल्तानी ने कार्यशाला की समीक्षात्मक विवेचना प्रस्तुत की। संभागियों ने भी कार्यशाला पर अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यशाला में उत्तरप्रदेश, दिल्ली एवं राजस्थान के विभिन्न महाविद्यालयों से 50 से अधिक संकाय सदस्य एवं शोधार्थियों ने भाग लिया। अंत में कार्यशाला के सहसंयोजक डॉ. वी. के सिंघल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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