मरूदेश संस्थान के तत्वाधान में महाकवि कन्हैयालाल सेठिया की आठवीं पुण्यतिथि पर राजस्थानी बातपोश उछब में लोक कथाकार रामेश्वर बोला बंूटियां ने बातपोशी के माध्यम से लोकनीति और लोकनीति की गूढ़ बातें बेहद सरल तरीके से बताई। उन्होने राजा भोज और उनकी पत्नी भागवंती के माध्यम से एक कथा सुनाई और कथा में से कथा निकालकर राजस्थानी साहित्य विद्या का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। बुद्धि का घर मस्तक, शर्म का आंख, दया का ह्रदय, करामात का घर घुटनों का बताते हुए उन्होने कहा कि जिस प्रकार क्रोध रूपी जंवाई आकर बुद्धि को ले जाता है, उसी प्रकार काम रूपी जंवाई शर्म को, लोभरूपी जंवाई दया को और बुढ़ापा रूपी जंवाई करामात को ले जाता है। उन्होने कहा कि विद्या और ताकत दो ऐसी वस्तु हैं, जिनको कोई छीन नहीं सकता। इस आयोजन में उनके सहभागी शंकरलाल महर्षि ने हुंकारों की भुमिका निभाई।
सोनादेवी सेठिया कन्या महाविद्यालय के सेमीनार हॉल में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोहिया कॉलेज चूरू के पूर्व प्राचार्य एवं राजस्थानी के साहित्यकार प्रो. भंवरसिंह सामौर ने बात परम्परा को मध्यकालीन समय से वर्तमान समय तक की ऐतिहासिक परम्परा का सिंहावलोन प्रस्तुत किया। संस्थान अध्यक्ष घनश्यामनाथ कच्छावा के संयोजन में संचालित कार्यक्रम में कथा प्रस्तोता रामेश्वरलाल बोला व शंकरलाल महर्षि का शॉल, श्रीफल साफा व प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डा. सी.पी. जोशी ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि शंकरलाल सामरिया, देवेन्द्र कुण्डलिया, साहित्यकार बजरंगलाल जेठू लाडनूं ने भी विचार व्यक्त किये। कमलनयन तोषनीवाल, किशोर सैन, दिनेश स्वामी, डा. मानसिंह सामौर, मुकेश रावतानी, हरिराम मेघवाल, अनिल माटोलिया आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में हाजी शम्सूद्दीन स्नेही, गिरधर शर्मा, दानमल भोजक, रफीक राजस्थानी, गिरधरगोपाल भोजक, सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे। डा. जयश्री सेठिया ने आभार व्यक्त किया। संचालन घनश्यामनाथ कच्छावा ने किया।