
वर्ष 1993 में कश्मीर में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड में शहीद हुए सुजानगढ कस्बे के होली धोरा निवासी मो सरवर खान की पटिटका का राजकीय जााजोदिया उच्च माध्यमिक विद्यालय में अनावरण किया गया। उपखण्ड अधिकारी अजय आर्य के मुख्य आतिथ्य में आयोजित समारोह के विशिष्ट अतिथि बीएसएफ के सहायक उपनिरीक्षक दिनेश शर्मा व हवलदार बाबूलाल खटीक, नगरपरिषद में नेता प्रतिपक्ष बुद्धिप्रकाश सोनी, भाजपा मण्डल अध्यक्ष वैद्य भंवरलाल शर्मा थे। कार्यक्रम में वीरांगना जैतून बानो का शाॅल ओढाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनन्दन किया गया।
बीएसएफ के एएसआई दिनेश शर्मा ने उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुए बताया कि 19-20 दिसम्बर 15 को कच्छ के रण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में बीएसएफ के शहीद हुए जवानों की वीरांगनाओं का सम्मान करने एवं उनके द्वारा अध्ययन किये गये विद्यालय में शहीदों के नाम की पटिटका लगाने का निर्णय लिया गया। उपखण्ड अधिकारी अजय आर्य ने कहा कि यह सरकार की अच्छी सोच है, जिससे शहीदों के सम्मान से आने वाली पीढियों को प्रेरणा मिलती रहेगी। आर्य ने कहा कि आज के दिन पूरे देश में देश के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों के सम्मान में कार्यक्रम हो रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रधानाचार्य प्रभुदयाल स्वामी ने कहा कि देश की सीमाओं की रक्षा के प्राणोत्सर्ग करने वाले विद्यार्थी पर विद्यालय को गर्व है। मातृभूमि की रक्षा के सदैव तत्पर रहने का आहवान करते हुए स्वामी ने कहा कि देश की रक्षा से बडा कोई काम और कोई जज्बा नहीं है। दूसरों के लिए जीने व मरने वालों को सदैव याद रखा जाता है।
कार्यक्रम में शहीद मो सरवर खान के भाई कादर खान, अजीम खां, पुत्र गुलजार खान, भंवरू खां मास्टरजी, रमजान खां फौजी, अयूब खां फौजी, मनवर खां फौजी, इकबाल खां, वजीर खां, नूर मोहम्मद कायमखानी, मो इलियास खान, मो युनूस खान हासमखानी, पार्षद प्रतिनिधि मो सफी, सैजू खान, शाहिद खान, हबीब खान, शाकिर खान बेसवा, नागेश कौशिक, मुराद खान सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे। कार्यक्रम में शहीद परिवार की बशीरा बानो, उम्मेद बानो, मैना बानो, शबाना खान, साजिदा, इना, सलमा बानो, कादर बानो, शेष बानो आदि महिलाऐं भी उपस्थित थी। संचालन नरेन्द्र भाटी ने किया।
भर आई आंखे
कार्यक्रम में विद्यालय की कक्षा 12 के छात्र हेमन्त द्वारा भए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो्य पानी गीत सुनाने पर उपस्थित जनों की आंखे भर पाई।
नहीं मिली अनुकम्पा नौकरी
1993 में आतंकवादियों से मुठभेड में शहीद हुए मो सरवर खान के पुत्र गुलजार खान को अभी तक अनुकम्पा नौकरी नहीं मिली है। ग्रेजुएट गुलजार ने बताया कि अनुकम्पा नौकरी के लिए उसने तीन बार प्रयास किये, लेकिन उसे तीनों ही बार फेल कर दिया गया।
1993 में शहीद हुए थे सरवर खान
होली धोरा के मो शहब्दी खान व धापी बानो के घर 8 जुलाई 1957 में मो सरवर खान का जन्म हुआ। खान ने वर्ष 1967 से 71 तक कक्षा 6 से 8 तक की पढाई जाजोदिया स्कूल में की। उसके बाद 1975 में सेना में भर्ती हो गये। 17 दिसम्बर 1993 की सुबह आतंकवादियों से हुई मुठभेड में मो सरवर खान शहीद हो गये। खान सेना में बीएसएफ में हैड कांस्टेबल के पद पर तैनात थे। मो सरवर खान के बडे भाई इब्राहीम खान भी फौज में थे, जो सेवानिवृत हो चूके हैं। 6 भाईयों मंे पांचवे नम्बर पर के भाई सरवर खान।
Y bhot achi soch h ..isse logo ko unki bahaduri ke bare me pta chlega or yowao ko army me jane ka jos bdhega ..
शहीदो का सम्मान सरकार कि अच्छी पहल व सोच है. ईस से शहीद परिवार को हिम्मत मिलती है व देश सेवा का जज्बा मन मे भरता है.शहीद के बेटे को BSF मे नोकरी देनी चाहिए. हमें शहीद सरवर। खान कि शहादत पर फ्रक है। जय हिन्द।
सदीक खान. पाड़ीयाण होलीधोरा