
माण्डेता स्थित काशीपुरीश्वर महादेव मन्दिर परिसर में श्रावण के प्रथम सोमवार को आयोजित ज्ञान गोठ में उपस्थित जनों को अपने अमृत वचनों का रसास्वादन करवाते हुए श्री शारदापीठम् द्वारका के ब्रह्मचारी नारयणानन्द जी महाराज ने कहा कि संसार में जितने भी लोग हैं, उनके मन में पाने की इच्छा है। मगर अच्छे व बूरे के चयन में लोग नासमझ है। मनुष्य की यही अज्ञानता उसे अमृत व विष में भेद नहीं करने देती है।
शंकराचार्य स्वरूपानन्द जी महाराज के शिष्य ब्रह्मचारी नारायणानन्द जी महाराज ने कहा कि जो शिव की उपासना करते हैं, अशिव की उपासना से बच जायेंगे। अगर हम अच्छे काम नहीं कर रहे हैं तो बूरे काम अवश्य करेंगे। क्योंकि कर्म करना हमारा प्रकृतिकृत नियम है। महाराज ने कहा कि जिसने अपने जीवन में ठोकर मां-बाप और गुरू के हाथ की थप्पड़ नहीं खाई, वो दुनियां की ठोकरें खाता है। नारायणानन्द जी महाराज ने कहा कि जो लोग इस देह की कीमत नहीं समझते वे लोग ही आत्मघात करते हैं। उन्होने कहा कि जिस व्यक्ति में धैर्य नहीं है, वह धार्मिक हो ही नहीं सकता। महाराज ने जनजीवन बचाने के लिए अधिकाधिक पेड़ लगाने पर जोर दिया। वेदान्त दर्शन यात्रा के शुभारम्भ का संकेत देते हुए यात्रा की प्रासंगिकता के सम्बन्ध में विस्तार से बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्वामी कानपुरी जी महाराज ने आयोजकीय पृष्ठभूमि की जानकारी दी।
श्रीकाशीपुरीश्वर चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित ज्ञान गोठ में स्वामी कानपुरी जी महाराज, शंकर सामरिया, श्रीचन्द तिवाड़ी ने ब्रह्मचारी नारायणानन्द जी महाराज का शॉल, श्रीफल व पुष्पाहार से अभिनन्दन किया। ज्ञान गोठ से पूर्व नारायणानन्द जी महाराज महारूद्रामिभषेक कार्यक्रम में भी शामिल हुए। पं. प्रहलाद लाटा व पं. माणकचन्द दाधीच ने पूजा अर्चना करवाई। ज्ञान गोठ के पश्चात नारायणानन्द जी महाराज ने मन्दिर परिसर में पौद्यारोपण भी किया। महाराज का स्वागत शंकर सामरिया, ओम तूनवाल, बुद्धिप्रकाश सोनी, पवन जोशी, विनोद दाधीच, यशोदा माटोलिया, शंकरलाल गोयनका, गोपाल प्रजापत, बजरंगलाल बोदलिया, भोमाराम बिजारणियां, वैद्य भंवरलाल शर्मा, सत्यनारायण अरोड़ा, कमलनयन तोषनीवाल आदि ने किया। संचालन एड. घनश्यामनाथ कच्छावा ने किया।