
नाले में आई डाट के बाद गली के अंतिम छोर पर स्थित राजकीय दुलियां उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के सामने स्कूल कैसें जायें? का सवाल खड़ा हो गया है। जिसका हल उनके बाल मन के पास नहीं है और जिनके पास है, उनके काम करने की कछुआ चाल से पूरी गली के लोग परेशान है। दुलियां बास स्थित दुलियां स्कूल की गली में सडक़ के नीचे गंदे पानी की निकासी के बड़े नाले में आई डाट को निकालने के चक्कर में नगरपरिषद प्रशासन ने नाले के ऊपर से पूरी सडक़ को खोद कर छोड़ दिया। जिससे गली में रहने वाले परिवारों एवं दुलियां स्कूल में पढऩे वाले बच्चों तथा शिक्षकों के आवागमन को पूर्ण रूप से अवरूद्ध कर दिया है। मौहल्लेवासियों के अनुसार इस नाले की सफाई 1995 के बाद से नहीं हुई है, जबकि इसकी सफाई के नाम पर हर साल बजट उठता है। आखिर जब नाले की सफाई ही नहीं हुई तो इतने वर्षों का वह बजट गया तो कहां गया? इसकी जांच गहनता से जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग मौहल्लेवासी कर रहे है।
नगरपरिषद के जिम्मेदार कर्मचारियों की लापरवाही का ही परिणाम है कि दुलियां स्कूल से आगे नाले को बंद कर दिया गया। जिससे नाले का पानी ताल में बने चैम्बर व पम्प हाऊस तक नहीं जाकर दुलियां स्कूल के खेल मैदान में जा रहा है। स्कूल प्रशासन द्वारा कईं बार शिकायत करने के बाद भी नगरपरिषद प्रशासन ने किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की। परिषद के चंद कर्मचारियों एवं ठेकेदारों की मिलीभगत का परिणाम है, कि इतने वर्षों से खेल मैदान होने के बावजूद बच्चे मैदान में खेलने से वंचित रहे तथा गली एवं मौहल्लेवासी आये दिन परेशान होते रहे। छोटी सी समस्या के नासूर बनने के इंतजार में परिषद के जिम्मेदार कर्मचारियों ने समस्या को भस्मासूर बन जाने दिया। जिसका परिणाम आज दुलियां स्कूल की गली के वाशिंदो को भुगतना पड़ रहा है। नाले की खुदाई के बाद लोगों का अपने घरों से निकलना बंद हो गया है। घरों से निकलना चाहे तो भी कैसे निकले, दरवाजा खोलते ही नाले का गहरा गड्ढ़ा आगे पांव बढ़ाने ही नहीं देता है। पूरी गली नाले के गहरे गड्ढ़े और नाले के पत्थरों से भरी पड़ी है। जिसके कारण गली वासियों के साथ -साथ स्कूली बच्चों का आवागमन पूरी तरह से बाधित हो जाने से गली के वाशिंदों के काम धंधे एवं बच्चों की पढ़ाई पर बड़ा असर हो रहा है।