हजरत बदरूद्दीन शाह के तीन रोजा उर्स के दूसरे दिन नमाजे जौहर औरतोंका इस्लाही इजतेमा का आयोजन हुआ। जिसमें आलिमा सना अतारिया ने तकरीर करते हुए महिलाओं को शिक्षित करने पर बल दिया। सलमा गौरी ने नबी की सुन्नतों पर चलने का तरीका सिखाया। मुस्कान कुरैशी व खुशबू सांई ने तिलावत एवं नातेपाक सुनाकर महिलाओं के आयोजन की रौनक बढ़ाई। रात्री में नमाजे बाद ईशा हजरत बदरूद्दीन शाह कांफ्रेन्स में बीकानेर के शायर नौशाद आलम ने एक से बढ़ कर एक हम्दोसना व नबी की शान में नाते पाक सुनाकर श्रोताओं की वाह-वाही लूटी। मुख्य वक्ता मौलाना मो. हबीब बरेली ने बुर्जुगों एवं मां बाप की खिदमत एवं एहतराम को जन्नत की कुंजी बताया। संचालन हाफिज मोहम्मद अकरम ने किया।
उर्स के तीसरे व अंतिम दिन मोहल्ला तेलियान स्थित मस्जिद जन्नतुल फिरदौस से चादरपॉशी का जुलूस रवाना हुआ, जो शहर के मुख्य मार्गों से होता हुए तकिया हजरत बदरूद्दीन शाह पंहूचा। जहां पर सैंकड़ों अकीदतमंदो ने सलतो सलाम का नजराना पेश किया व अस्ताना शरीफ में चादर शरीफ चढ़ाई। बाद नमाजे असर में तकरीर का कार्यक्रम हुआ। जिसमें पीर सैयद जहूर अली अशरफी ने हजरत बदरूद्दीन शाह की जीवनी पर प्रकाश डाला तथा देश में अमन, शांति एवं तरक्की के लिए दुआ फरमाई। दुआ के बाद कुल शरीफ के कार्यक्रम में अनेक महिलाएं, बच्चे व पुरूष शामिल हुए। तीन रोजा उर्स के समापन पर सिरनी का वितरण हुआ। इंतेजामिया कमेटी के सदर मो. इलियास खान ने आभार व्यक्त किया।