
सीताराम चौधरी पर हुए कातिलाना हमले के मामले में पुलिस पर जबरन फंसाने का आरोप लगाते हुए तत्कालीन एएसपी बुगलाल मीणा, उप अधीक्षक हेमाराम चौधरी, सीआई भूराराम खिलेरी, एसएचओ जितेन्द्र स्वामी, गिरधारी दूधवाल, पन्नालाल जाखड़, बलबीर एचसी, दीपेन्द्रसिंह, गोपालाराम, गोरधनराम, एसआई रामकुमार जाट, सवाईसिंह, जगदीश जाट, सुरेन्द्र ड्राइवर, नरेश शर्मा सेवदा सहित कारागार विभाग से उपाधीक्षक भगवानसिंह के विरूद्ध लोकायुक्त सचिवालय में परिवाद 3(560)एलएएस/2015 दर्ज करवाया गया है।
लोकायुक्त में दर्ज परिवाद के अनुसार 28 सितम्बर 2014 को पंचायत समिति के पास सीताराम चौधरी पर हुए कातिलाना हमले के आरोपी निर्मलकुमार भरतिया पुत्र शिवभगवान भरतिया ने अपनी शिकायत में बताया है कि 28 सितम्बर 14 को वह अपने मकान निर्मल निवास की मरम्मत करवाने के बाद अपनी मां के मैरिज गार्डन अग्रसेन विहार आकर वहां की सफाई करवाने रहा था। नौकर सुनील विश्नोई, ड्राइवर हुक्माराम व मोहसीन खां लाडनूं उपस्थित थे। शाम को प्रोपर्टी व्यवसायी रफीक सांई मिलने आया था।
शाम साढ़े छ: बजे गणेश नाई का निर्मल के पास फोन आया कि पंचायत समिति के पास गोलियां चल गई है, तो मैने उससे पता करने को कहा। उसी समय सराज खां को फोन किया तो उसने बताया कि पंचायत समिति के पास उसके भाई की दुकान पर गोलियां चली है, जिनमें उसका भाई मन्नू खां भी घायल हो गया। सराज ने गाड़ी मांगी तो ड्राइवर हुक्माराम व मोहसीन खां के साथ गाड़ी सराज खां के पास भेज दी। उसके बाद पुलिस की गाड़ी मैरिज गार्डन के दरवाजे पर आकर रूकी।
दरवाजा खोलकर सुजानगढ़ के तत्कालीन एसएचओ भूराराम खिलेरी, ड्राइवर पन्नालाल जाखड़, सिपाही दीपेन्द्रसिंह व सिपाही गोरधनराम आये और एसएचओ ने थप्पड़ मारते हुए कहा थाने चलो, आज तुम्हे बतायेंगे कि पुलिस क्या होती है। थाने लाते समय एसएचओ ने सुनील के मोबाइल से सराज खां को फोन करवाकर गाड़ी थाने मंगवाई। थाने लाकर तलाशी ली गई, जिसमें मेरी जेब से 14500/- व मोबाइल फोन तथा सुनील का पर्स व फोन निकालकर अपने पास रखकर हवालात में बंद कर दिया। उसके बाद मुझे एसएचओ कार्यालय ले जाया, जहां पर पुलिस उपाधीक्षक हेमाराम चौधरी की उपस्थिति में पन्नालाल, गिरधारी दूधवाल एवं एसएचओ भूराराम खिलेरी ने गालियां निकालते हुए मारपीट करनी शुरू कर दी।
पुलिस उपाधीक्षक हेमाराम चौधरी ने कहा कि सीआई नरेश शर्मा मेरा खास आदमी था, जिसे एसीबी द्वारा दो लाख रूपये में तुमने ट्रैप करवा दिया। तुम नरेश शर्मा के पक्ष में शपथ पत्र दे दो कि तुमने दो लाख रूपये की रिश्वत नरेश शर्मा को नहीं देकर रावताराम को दी थी, तो तुम्हे छोड़ देंगे, नहीं आज जो गोलीकाण्ड हुआ है, उसमें तुम्हे फंसा देंगे। निर्मल ने शपथ पत्र देने से इंकार करने पर उपाधीक्षक हेमाराम चौधरी, पन्नालाल, गिरधारी दूधवाल, एसएचओ भूराराम खिलेरी एवं बलवीर एचसी ने अवैद्य हथियारों का केस लगाने का षडय़ंत्र रचने और अवैद्य हथियारों की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी गिरधारी व पन्नालाल ने करने की हामी भरने का आरोप लगाया है। उसके बाद पुलिस उपाधीक्षक हेमाराम चौधरी, एसएचओ भूराराम खिलेरी आदि ने एक बार फिर नरेश शर्मा के पक्ष में शपथ पत्र देने को कहा। मना करने पर मुझे सीताराम चौधरी गोलीकाण्ड एवं अवैद्य हथियार के मुकदमें में नामजद आरोपी बना दिया।
शिकायत में निर्मल ने बताया कि उसके बाद पुलिस उपाधीक्षक हेमाराम चौधरी व एसएचओ भूराराम खिलेरी ने पुछताछ के दौरान आनन्दपालसिंह, के.डी. चारण और दामोदरसिंह से मेरे सम्बन्धों को लेकर पुछताछ की, मेरे इनकार करने पर सीताराम चौधरी गोलीकाण्ड में मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि पुलिस के निर्मल से नरेश के पक्ष में शपथ पत्र लेने में नाकाम रहने पर नरेश शर्मा ने गैंगस्टर आनन्दपालसिंह से मिलकर एक से अधिक बार निर्मल के नाम अपने पक्ष में गवाही देने के पत्र लिखवाकर लाया, जिन्हे पुलिस उप अधीक्षक हेमाराम चौधरी ने मुझे दिये और पत्र पढ़कर मैने एसीबी कोर्ट में बयान देने से इंकार कर दिया।
07 अगस्त 15 को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सेशन न्यायालय अजमेर में खतरनाक गैंगस्टर से परिवार को खतरा होने के बारे में प्रार्थना पत्र दिया। जिसे न्यायालय ने एसपी अजमेर को भेजकर आवश्यक कार्यवाही करने को कहा था। पत्र में आरोप लगाया गया है कि नरेश शर्मा के प्रभाव में आकर एसपी अजमेर ने कार्यवाही नहीं की, अगर कार्यवाही करते तो शायद आनन्दपाल फरार नहीं हो पाता। शिकायत में एएसपी बुगलाल मीणा, उप अधीक्षक हेमाराम चौधरी, सीआई भूराराम खिलेरी, जितेन्द्र स्वामी, गिरधारी दूधवाल, पन्नालाल जाखड़, बलबीर एचसी, दीपेन्द्रसिंह, गोपालाराम, गोरधनराम, एसआई रामकुमार जाट, सवाईसिंह, जगदीश जाट, सुरेन्द्र ड्राइवर, नरेश शर्मा सेवदा सहित कारागार विभाग से उपाधीक्षक भगवानसिंह तथा आनन्दपालसिंह के विरूद्ध षडय़ंत्र रचकर अपने अपने पद का दुरूपयोग कर एसीबी न्यायालय में नरेश शर्मा के पक्ष में गवाही दिलाने के लिए एक राय होकर झुठी एफआईआर दर्ज करने की शिकायत करते हुए मामले की जांच एसओजी से करवाने की मांग की है।