नगरपरिषद की स्थापना शाखा में कार्यरत लिपिक अखिलेश पारीक पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए सभापति को ज्ञापन सौंपकर पारीक को पद से हटाने एवं बर्खास्त करने की मांग की गई है। कस्बे के जितेन्द्र भार्गव, बाबू खां, मुकेश दायमा ने सभापति सिकन्दर अली खिलजी को सौंपे ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि स्थापना शाखा में कार्यरत लिपिक अखिलेश पारीक भ्रष्टाचार में लिप्त है तथा अदालती कार्यों में भारी भ्रष्टाचार कर रहा है। ज्ञापन में बताया गया है कि गत तीन वर्षों में न्यायालय में अनेक मुकदमों का निस्तारण हुआ है और जिन लोगों ने अतिक्रमण कर स्टे प्राप्त कर रखे थे, उनके स्टे खारिज हो चूके हैं।
जिनमें से कईं मुकदमों में स्टे के दौरान निर्माण कार्य, बिजली पानी कनेक्शन आदि होने से मौके की स्थिति में परिवर्तन हो चूके हैं। जिनकी स्थापना शाखा में सूचना देने के बावजूद अखिलेश पारीक ने उन आदेशों की पालना करवाने के लिए पत्रावलियां प्रस्तावित नहीं कर अतिक्रमियों से सांठ – गांठ कर भारी भ्रष्टाचार करते हुए नगरपरिषद के आर्थिक हितों को नुकसान पंहूचाया है। ज्ञापन में पारीक पर न्यायालय में अवमानना की पत्रावलियां भी प्रस्तावित नहीं करने तथा न्यायालय के आदेशों एवं राज्य सरकार व स्वायत शासन विभाग से आने वाले पत्रों व दिशा निर्देशों को दबाने का आरोप लगाया गया है। नगरपरिषद द्वारा क्रय की जाने वाली सामग्री, सामान के फर्जी बिल बनवाकर अपने निजी व्यक्तियों के नाम से करोड़ों रूपयों का भुगतान प्राप्त करने तथा नगरपरिषद में आने वाले सामान का घर पर ले जाकर उपयोग करने एवं विक्रय करने का भी ज्ञापन में आरोप लगाया गया है।
ज्ञापन में नगरपरिषद की पत्रावलियों को नगरपरिषद से बाहर ले जाकर पूर्व सभापति, पूर्व चैयरमैन, पूर्व आयुक्त भंवरलाल सोनी के पास ले जाकर उनमें हेर-फेर करने तथा पत्रावलियों को गायब करने का आरोप लगाया गया है। शिकायत मिलने के बाद सभापति सिकन्दर अली खिलजी ने प्रकरण की जांच करने तथा जब तक जांच पूरी नहीं हो तब तक अखिलेश पारीक को हटाने के आदेश आयुक्त को दिये हैं। आयुक्त देवीसिंह बोचल्या का कहना है कि अगर कोई सबूत पेश करता है, तो जांच होगी, ऐसे तो निराधार आरोप कोई किसी के भी खिलाफ लगा सकता है। कार्य बदलने का काम विभागीय है, जिसका सभापति जी के साथ मिलकर निर्णय किया जायेगा।