निकटवर्ती सालासर धाम स्थित बालाजी गौशाला परिसर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के शुभारम्भ से पूर्व प्रभुप्रेमी संघ द्वारा निर्मित प्याऊ के साथ गायों के लिए बनाये गये चारागाह का जूनापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरी जी महाराज एवं पद्म विभुषण से सम्मानित भारत माता मन्दिर हरिद्वार के अध्यक्ष स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरी जी महाराज ने किया। तत्पश्चात गौ गृह में गायों का पूजन किया व उन्हे गुड़ खिलाया। कथा का शुभारम्भ मुख्य यजमान संजय भावशिंक, अजय भावशिंका ने व्यास पीठ की पूजा अर्चना की। इस अवसर पर राजकुमार सरावगी, उत्तरप्रदेश के सूचना आयोग अध्यक्ष अरविन्द विष्ट, नारायण मूंधड़ा, देवेन्द्र जैन, बसन्त तोदी, सुरेश केडिया, अंजू सराफ, सुरेश सराफ सहित भक्तगणों ने स्वामी अवधेशानन्द जी महाराज का सम्मान किया।
कथा प्रारम्भ से पूर्व श्री बालाजी मन्दिर के महावीर प्रसाद पुजारी ने गौशाला का परिचय देते हुए बालाजी महाराज के इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इस धरा में संतों के आगमन से ही सभी गौरवान्वित है, स्वयं बालाजी भी संत श्री मोहनदास जी महाराज की तपस्या से प्रसन्न होकर स्वयं मूर्ति के रूप में विराजित है तो संतो के चरण जहां पर पड़े वह धरती तो धन्य है। इसी क्रम में स्वामी सत्यमित्रानन्द जी महाराज ने सम्बोधित करते हुए हुए कहा कि कथा का श्रवण नहीं सेवन करना जरूरी है। जो मनुष्य को सही दिशा में ले जाने में सहायक है। स्वामी जी ने बताया कि कम उम्र की आयु में साधु बनना और परमात्मा के भजन करना ये सभी भगवान के आदेश से ही सम्भव है। श्री बालाजी महाराज की इस सिद्धपीठ भूमि में कथा करना और श्रवण करना तो सीधे भक्त और भगवान का सम्पर्क है।
स्वामी सत्यमित्रानन्द जी महाराज ने श्रीबालाजी गौशाला में गौ सेवार्थ के लिए एक लाख पच्चीस हजार रूपये की धन राशि प्रदान की। कथा के आरम्भ में जूनापीठाधीश्वर अवधेशानन्द गिरी महाराज ने कथा वाचन करते हुए बताया कि वक्ता में 32 लक्षण होने जरूरी है। एक भागवत वक्ता में भगवद् में जिसमें सब भगवान स्वरूप दिखाई दे ऐसा वक्ता होना चाहिए। जीवन के लक्ष्य को पाना बड़ा ही कठिन है। कथा के लिए पहली बात होती है एकाग्रता, साधना, श्रद्धा होना जरूरी है। लोक कल्याण के लिए कोई सेवा कर रहे हैं तो वह सत्कर्म भगवान की कृपा से सम्भव है। ये कथा जो श्राद्धपक्ष में हो रही है, ये हमें सीख है, पितृों से जुड़े रहने के लिए भागवत का पहला श्लोक सृष्टि निर्माण का पहला साधन ही ईश्वर ही है। मनुष्य जन्म मिला है तो धर्म का साधक करने के लिए मिली है। इस अवसर पर आयोजन समिति के मिठ्नलाल पुजारी, विजयकुमार पुजारी, रविशंकर पुजारी, धनराज पुजारी, देवकीनन्दन पुजारी, मांगीलाल पुजारी, हीरालाल पुजारी, अजय पुजारी, सुरेश पुजारी, सम्पत पुजारी, अरविन्द पुजारी, मनोज पुजारी, यशोदानन्दन पुजारी, विनोद पुजारी, श्रीकिशन पुजारी सहित प्रभुप्रेमी संघ के सभी सदस्यगण एवं पुजारी परिवार व ग्रामीण जन अपनी सेवायें दे रहे हैं।