राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की जमीनों के अवैद्य रूप से बेचान के मामले में सुरेन्द्र भार्गव ने उपपंजीयक को पत्र प्रेषित कर जांच के बिन्दू शामिल करने की मांग की है। भार्गव के अनुसार उनके पास उपलब्ध विक्रय विलेख पंजीयन दिनांक 19 फरवरी 2014, 8 मई 2014 एवं 11 अक्टूबर 2014 की सत्य प्रतियों में प्रलेख लेखक का नाम व लाईसेंस नम्बर अंकित नहीं होने के साथ ही विक्रेतागण द्वारा क्रय की गई रजिस्ट्री का उल्लेख भी नहीं होकर केवल इंतकाल नम्बर का ही हवाला दिया हुआ है। भार्गव ने बताया है कि राजस्व चोरी की नियत से वास्तविक तथ्यों को छिपाकर विक्रय विलेख में गलत तथ्य अंकित किये हैं, जिनका हल्का पटवारी ने भी अपनी रिपोर्ट में अनुमोदन किया है। पत्र में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए विक्रय मूल्य कम दिखाकर कालेधन के निवेश की आशंका के साथ ही भू अभिलेख निरीक्षक की टिप्पणी और नामान्तरण खारिज करने की अनदेखी का जिक्र करते हुए तहसीलदार पर मिलीभगत के आरोप लगाये गये हैं। पत्र में प्रलेख लेखकों द्वारा वसूले गये कमीशन की भी जांच करने की मांग की गई है।