
सरकारी धन के गबन के मामले में चाड़वास की पूर्व सरपंच नानूदेवी की अग्रिम जमानत याचिका को राजस्थान उच्च न्यायालय ने गत दिवस खारिज कर दिया है। उच्च न्यायालय की आदेशित प्रति के अनुसार न्यायाधिपति निर्मलजीत कौर ने गत 14 अगस्त को गबन के मामले में वांछित चाड़वास की पूर्व सरपंच नानूदेवी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। सनद रहे कि तिलोकाराम पुत्र रूघाराम जाट निवासी चाड़वास ने तत्कालीन चाड़वास सरपंच नानूदेवी पत्नी मालाराम बीरड़ा जाट व ग्राम सेवक जगाराम पुत्र भालाराम मेघवाल के खिलाफ छापर थाने में इस्तगासे के आधार पर गबन का मामला दर्ज करवाया था।
जिसमें तिलोकाराम के फर्जी हस्ताक्षर कर उसके नाम से कूट रचित एवं फर्जी दस्तावेज, व्यय प्रमाण पत्र वाउचर तैयार कर असली के रूप में प्रयोग करते हुए 99480/-रूपये की राशि का भुगतान सरकारी खजाने से उठाने व सरकारी राशि का गबन करने का आरोप लगाया गया था। इस प्रकरण में पुलिस जांच के दौरान मुस्तगिस के हस्ताक्षरों को फॉरेंसिक लैब में जांच करने के लिए भेजा गया, लैब की रिपोर्ट के अनुसार वाउचरों पर किये गये हस्ताक्षर एवं मुस्तगिस के हस्ताक्षर मिलान होना नहीं पाया गया।
नानूदेवी के हस्ताक्षरों का विवादित वाउचरों पर किये गये हस्ताक्षरों से मिलान होना पाया गया था। पूर्व में सुजानगढ़ एडीजे नेपालसिंह ने भी चाड़वास की पूर्व सरपंच नानूदेवी की अग्रिम जमानत याचिका को गत 24 जुलाई को खारिज कर दिया था। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत हनुमान मल पुत्र जस्सूराम साख द्वारा मांगी गई सूचना पर पुलिस उप अधीक्षक कार्यालय से मिली सूचना के अनुसार आरोपी नानूदेवी के खिलाफ 11 मामले पुलिस थाना छापर में व एक एसीबी में दर्ज है।