रविवार शाम से ही बादलों की आवाजाही का जो दौर शुरू हुआ वह सोमवार को भी दिन भर जारी रहा। रविवार रात से ही सोमवार को पूरे दिन रूक-रूक कर फुहारें चलती रही है। जिससे रास्तों में कीचड़ हो गया। फुहारों की दिन भी चली बरसात से किसानों के मन में कातरे का भय पैदा कर दिया है।