डा. सेठिया एवं डा. जाटोलिया को एसीजेएम न्यायालय ने सम्मन के जरिये किया तलब

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प्रसव के लिए महिला को भर्ती करने एवं उसके बाद रिश्वत नहीं देने पर प्रसव नहीं कराने तथा प्रसव के दौरान बच्चे की मौत को एसीजेएम न्यायालय ने गम्भीर चूक मानते हुए राजकीय बगड़िया चिकित्सालय के डा. डी.आर. जाटोलिया के खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए डा. जाटोलिया एवं तत्कालीन पीएमओ डा. चैनरूप सेठिया को सम्मन जारी कर तलब किया है। न्यायालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार 16 मई 2013 को जगदेव दान चारण ने सुजानगढ़ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई की 15 मई को उसकी पत्नी इन्द्रा कंवर को बच्चा होने वाला था।

इसलिये रात नौ बजे अस्पताल ले गये तथा डा. डी.आर. जाटोलिया को उनके निवास पर चैकअप करवाया, तो उन्होने नौ-साढ़े नौ बजे परिवादी की पत्नी को सरकारी अस्पताल में भर्ती करवा दिया। उसके बाद रात दस बजे डा. जाटोलिया ने अस्पताल आकर परिवादी से कहा कि दो-ढ़ाई घंटे में डिलीवरी हो जायेगी। डा. जाटोलिया के निर्देशानुसार नर्स सरोज स्वामी ने इंजेक्शन मंगवा लिये।

रिश्वत नहीं दी तो नहीं आये डा. जाटोलिया
रात्री 11.30 बजे परिवादी की पत्नी को डिलीवरी पेन शुरू होने पर परिवादी के साथ आये सरूपदान ने डॉक्टर साहब को बुलाने के लिए बार-बार फोन किया व सम्पर्क किया। मगर डॉक्टर साहब ने नहीं सुनी तथा दो हजार रूपये की मांग की। परिवादी की पत्नी की तबियत खराब होती गई। 11.50 से 1.15 तक परिवादी की पत्नी डिलीवरी रूम में तकलीफ झेलती रही। डॉक्टर साहब को बार-बार बुलाने पर भी वे नहीं आये। तब नर्स सरोज स्वामी व बाबूलाल हरिजन घबरा गये। बच्चा बीच में अटक गया। डा. डी.आर. जाटोलिया को रिश्वत नहीं देने के कारण वे डिलीवरी करवाने नहीं आये, जिसके कारण परिवादी के बच्चे क ी मृत्यु हो गई।

दूसरे जांच अधिकारी ने बदल दी पूरी कहानी
न्यायालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार अनुसंधान अधिकारी ने अस्पताल से प्राप्त रिकार्ड एवं बयानों के आधार पर डा. डी.आर. जाटोलिया के विरूद्ध भादंस की धारा 304 ए का अपराध प्रमाणित माना। जिस पर पुलिस अधीक्षक चूरू ने आगामी जांच के लिए प्रकरण एस.सी.एस.टी. सेल चूरू के उपअधीक्षक को सौंप दिया। एस.सी.एस.टी. सेल चूरू के उपअधीक्षक ने जांच में डा. जाटोलिया की लापरवाही नहीं मानते हुए अपनी रिपोर्ट में बताया कि 16 मई को डा. जाटोलिया के भाई का एस.एम.एस. हॉस्पीटल, जयपुर में ऑपरेशन होना था। इसलिये वे रात्री साढ़े नौ बजे तत्कालीन पीएमओ डा. चैनरूप सेठिया से अवकाश लेकर चले गये।

साक्ष्यों एवं पत्रावली का अवलोकन करने एवं सभी गवाहों के बयानों के अनुसार 15 मई की रात्री साढ़े नौ बजे डा. जाटोलिया की परिचर्या प्राप्त कर ही परिवादी जगदेव की पत्नी इन्द्रा कंवर को राजकीय चिकित्सालय में भर्ती किया गया तथा रात दस बजे डा. जाटोलिया सम्भालने भी आये थे। न्यायालय ने माना कि डा. जाटोलिया को मरीज की स्थिति का पूर्णतया ज्ञान था, इसके बावजूद उन्होने अनदेखी व अनसुनी कर दी तथा चिकित्सक के अभाव में नर्स सरोज स्वामी व हरिजन बाबूलाल ने डिलीवरी करवाई जिसके परिणाम स्वरूप बच्चा बीच में ही अटक गया और खींचकर निकालने पर मृत पैदा हुआ। जिसकी ताइद अनुसंधान अधिकारी हनुमानसिंह ने अपनी रिपोर्ट में की।

परिवादी जगदेव द्वारा 13 जून 13 को पुलिस उप अधीक्षक को सौंपे गये प्रार्थना पत्र में डा. जाटोलिया को प्रभाववाला आदमी बताते हुए गवाहों को डराने व धमकाने का आरोप लगाया था। जिसकी तस्दीक अनुसंधान अधिकारी के बदलने से हुई। बदले गये अनुसंधान अधिकारी बुद्धपुरी स्वामी ने कहानी को घुमाते हुए डा. जाटोलिया के तत्कालीन पीएमओ डा. चैनरूप सेठिया से तीन दिन का अवकाश लेकर जाने का नया तथ्य अपनी रिपोर्ट में शामिल कर न्यायालय में पेश किया।

डा. सेठिया वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करने के दोषी
जिस पर न्यायालय ने माना कि अनुसंधान अधिकारी की दूसरी रिपोर्ट को भी अगर सही माना जाता है तो भी डा. चैनरूप सेठिया लोक सेवक होते हुए विधि के द्वारा दिये गये निर्देशों से बंधे थे तथा उन्हे डा. जाटोलिया के स्थान पर प्रसव करवाने के लिए नये चिकित्सक को मरीज के पास भेजना चाहिये था। लेकिन डा. सेठिया द्वारा निर्देशों की पालना नहीं किये जाने के परिणाम स्वरूप नवजात बालक की प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई। न्यायालय ने इस बात पर भी गौर किया कि प्रथम अनुसंधान अधिकारी हनुमानसिंह द्वारा की गई जांच में ये तथ्य कहीं भी सामने नहीं आया कि रात्री साढ़े नौ बजे के बाद डा. जाटोलिया घर पर ताला लगाकर अवकाश पर जा चूके थे।

न्यायालय ने दूसरे अनुसंधान अधिकारी बुद्धपुरी स्वामी द्वारा लिये गये बयानों को स्वीकार नहीं करते हुए डा. डी. आर. जाटोलिया को उपेक्षापूर्ण कृत्य के लिए दोषी मानते हुए कहा कि कॉल डिटेल के आधार पर घटना की रात्री में डा. जाटोलिया सुजानगढ़ में ही थे। न्यायालय ने तत्कालीन पी.एम.ओ. डा. चैनरूप सेठिया को डा. जाटोलिया के स्थान पर दूसरे डॉक्टर नहीं भेजने के अपराध का दोषी माना है। न्यायालय ने मामले में प्रसंज्ञान लेते हुए डा. डी.आर. जाटोलिया के खिलाफ भादंस की धारा 304 ए व डा. चैनरूप सेठिया के खिलाफ धारा 166 में अपराध मानते हुए सम्मन के जरिये तलब किया है।

1 COMMENT

  1. In doctor’s ke sath aisa hi hona chahiye
    2000 ke liye kisi ki jaan le lete hai aur apne aap ko bhagwan kahte hai….
    muje sujangarh nayalya se puri umid hai ki pidit aadmi ko jarur insaf milega….thank zaz sahab

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