
राजस्व रेकार्ड को अवैद्य व अनधिकृत मानते हुए खातेदार कृषक को उसकी जीली की रोही में स्थित भूमि की खातेदारी दिये जाने के आदेश उपखण्ड अधिकारी ने मेगा राजस्व लोक अदालत में दिये हैं। प्रकरण के अनुसार भंवरू खां पुत्र जमालदीन लीलगर निवासी जीली ने उपखण्ड अधिकारी न्यायालय में अपनी खातेदारी के कब्जा काश्त के खेत खसरा नं. 233 तादादी 34.08, बीघा खसरा नं. 331 तादादी 6.15 बीघा, खसरा नं. 346 तादादी 2 बीघा जीली की रोही में स्थित है।
जो उसे नाना उजीरा के खातेदारीकब्जा काश्त के थे और भंवरू खां के नाना के समय से ही खेत में काश्त करता आ रहा है। लेकिन नाना के देहान्त के बाद ईदीदेवी पत्नी जमालद्दीन लीलगर निवासी सुजानगढ़ के नाम अंकन रेकार्ड में दर्ज हो गया। जबकि वादगत भूमि पर उनका कोई कब्जा या काश्त नहीं थी। वादी कब्जे के आधार पर वादगत भूमि का खातेदार कृषक है, इसलिये उसे खातेदारी के अधिकार प्रदान करते हुए उसका नाम राजस्व रेकार्ड में अंकित करने को लेकर उपखण्ड न्यायालय में भंवरू खां के द्वारा वाद दायर किया गया था। जिस पर मेगा लोक अदालत में उपखण्ड अधिकारी अजय आर्य ने फैसला देते हुए कहा कि 40 साल पुराने वादगत भूमि पर वादी का कब्जा चला आ रहा है, अन्य किसी का इस भूमि पर कोई कब्जा नहीं है। इस आधार पर न्यायालय ने उपरोक्त तीनों खसरों की वादगत भूमि का वादी को खातेदार कृषक मानते हुए राजस्व रिकार्ड में वादी का नाम अंकित किये जाने के आदेश दिये। वादी की ओर से पैरवी एड. जगवीर गोदारा ने की।