शहर में जगह-जगह बिजली के तार झूल रहे हैं, वहीं सालासर रोड़ पर औद्योगिक क्षेत्र के सामने स्थित नूर बाग कब्रिस्तान में बिजली के तार जमीन पर पड़े हैं। कब्रिस्तान में उगी घास के बीच छिपे ये तार जल्दी से किसी को दिखाई नहीं देते हैं और भूलवश अगर किसी को ये छू जाये तो उसका क्या हाल हो सकता है, इसका अनुमान कोई भी सहज ही लगा सकता है। कब्रिस्तान में से गुजरने वाली 11 हजार केवी की इस प्लास्टिक कोटेड लाईन का प्लास्टिक भी जगह-जगह से उतर चूका है, जिससे तारों का एल्यूमिनियम साफ दिखाई पड़ रहा है। चांद बास में हुए हादसे में बिजली विभाग अपनी लापरवाही मानने से इंकार करता रहा है, लेकिन यहां कब्रिस्तान में कोई घटना होती है, तो वह किसकी लापरवाही होगी।
नूर बाग कब्रिस्तान के सदर मुमताज खां ने बताया कि बिजली विभाग के अधिकारियों को अनेक बार लिखित एवं मौखिक रूप से इन तारों को ठीक करने के लिए निवेदन करने के बाद भी हालात जस के तस है। कब्रिस्तान में एक पोल के पास तो तार ऊपर पोल से टूट कर बीच में अधर झूल में लटक रहे हैं, जो पास से निकलने वालों के लिए भी खतरनाक है। कब्रिस्तान में रोजाना अनेक लोग अपने पूर्वजों की याद में पक्षियों के लिए परिण्डों में पानी डालने, कब्र सींचने, पक्षियों को दाना डालने एवं पार्थिव देह को दफनाने के लिए आते हैं। इस दौरान अगर कोई हादसा हो जाता है तो फिर ये किसी की नैतिक जिम्मेदारी होगी? विभाग हादसे का ही इंतजार क्यों करता है? जबकि इस बार तो कस्बे के चांद बास में हुए हादसे और बागड़ा भवन के पास गिरे जर्जर पोल से टले हादसे के बाद भी विद्युत विभाग अभी भी अपनी कुम्भकर्णी नींद से नहीं जागा है।