मनुष्य का मन दर्पण के समान – राधेश्याम शास्त्री

Shiva married

एन.के. लोहिया स्टेडियम में आयोजित शिव महापुराण कथा में मंगलवार को शिव विवाह के प्रसंग का सुन्दर चित्रण एवं वर्णन किया गया। व्यास पीठ पर विराजमान कथावाचक राधेश्याम शास्त्री ने उपस्थित श्रृद्धालुओं को शिव कथा का श्रवण करवाते हुए कहा कि हरि ही हर है, और हर ही हरि है, इसलिये शिव की पूजा, आराधना करने वालों को भगवान नारायण को कभी भी नाराज नहीं करना चाहिये।

गुरू की महिमा का वर्णन करते हुए शास्त्री ने कहा कि माता-पिता व गुरूजनों की डांट से व्यक्ति का उत्थान होता है। शिव द्वारा कामदेव दहन की कथा का श्रवण करवाते हुए कथावाचक राधेश्याम शास्त्री ने माता पार्वती द्वारा शिव प्राप्ति के लिए की गई तपस्या, सप्त ऋषियों द्वारा उमा की परीक्षा लेने, एवं शिव विवाह की कथा का सुन्दर बखान किया। शिव विवाह के प्रंसग के दौरान कोलकाता की नृत्य मण्डली ने शिव विवाह की जीवन्त झांकी का प्रदर्शन किया। सत्संग को पारसमणी के समान बताते हुए कथा का वाचन करते हुए राधेश्याम शास्त्री ने कहा कि मनुष्य का मन दर्पण के समान है, इसमें झांकने पर व्यक्ति को अपने गुण-दोष नजर आने लगते हैं।

कथा में भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक विमल सोनी व राजस्थान राज्य भण्डार व्यवस्था निगम के प्रशासनिक सहायक श्यामसुन्दर मितल का पुरूषोतम शर्मा, श्याम सुन्दर शर्मा, बजरंगलाल पारीक, पी.डी. शर्मा मुम्बई ने किया। स्व.रामदेव चोटिया, स्व. दूर्गादेवी चोटिया, स्व. सत्यनारायण चोटिया व स्व. प्रेमसुख चोटिया की पुण्य स्मृति में स्व. प्रेमसुख चोटिया की धर्मपत्नी मुन्नीदेवी, पुत्र विकास, विवेक, पुत्री प्रियंका व मेघा द्वारा शिव महापुराण का आयोजन किया गया है। कथा के सफल आयोजन में पुरूषोतम शर्मा व के.एल. पारीक सहित अनेक श्रद्धालु जुटे हुए हैं।

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