
एन.के. लोहिया स्टेडियम में आयोजित शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन उपस्थित श्रद्धालुओं को कथा श्रवण करवाते हुए व्यासपीठ पर विराजमान कथावाचक राधेश्याम शास्त्री ने कहा कि धर्म-कर्म एवं दान-पुण्य स्व:अर्जित कमाई से करना चाहिये। अपनी कमाई का दस प्रतिशत दान धर्म पर खर्च करना चाहिये। शास्त्री सात वारों की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि घर में किये हुए पाप कर्म तीर्थों पर जाने से छुट जाते हैं, लेकिन तीर्थों में किये हुए पाप कर्म वज्र बन जाते हैं।
शास्त्री ने वृक्ष व प्याऊ लगाने का आह्वान करते हुए कहा कि जिस प्रकार वृक्ष सभी को बिना भेदभाव के छाया व फल देते हैं, उसी प्रकार धनवान व्यक्ति को अपने का धन का सदूपयोग बिना किसी भेदभाव के सत्कर्मों में करते हुए दूसरों के लिए जीना चाहिये। जल के दान को श्रेष्ठ बताते हुए कथावाचक राधेश्याम शास्त्री ने कहा कि जल के दान के लिए जगह-जगह पर प्याऊ लगावें, प्यासे को पानी पिलावें।
इससे पूर्व कथा की पूजा-अर्चना आयोजक परिवार द्वारा की गई। स्व.रामदेव चोटिया, स्व. दूर्गादेवी चोटिया, स्व. सत्यनारायण चोटिया व स्व. प्रेमसुख चोटिया की पुण्य स्मृति में स्व. प्रेमसुख चोटिया की धर्मपत्नी मुन्नीदेवी, पुत्र विकास, विवेक, पुत्री प्रियंका व मेघा द्वारा शिव महापुराण का आयोजन किया गया है। कथा के सफल आयोजन में पुरूषोतम शर्मा व के.एल. पारीक सहित अनेक श्रद्धालु जुटे हुए हैं।