सभापति डा. विजयराज शर्मा की अध्यक्षता में नगरपरिषद की बजट नोक-झोंक व शोर-शराबे के बीच आयुक्त बी.एल. सोनी ने सदन के पटल पर एक करोड 95 लाख के घाटे का बजट प्रस्तुत किया। कुल 28 करोड़ रूपये का बजट पेश करते हुए सोनी ने बताया कि बजट घाटा पिछले वर्ष की आय से पूरा किया जायेगा। प्रतिपक्ष नेता रामनारायण प्रजापत, पार्षद सिकन्दर अली खिलजी के साथ निर्दलीय पार्षद प्रदीप टाक ने बजट का विरोध करते हुए विपक्ष के सदस्यों को आधे-अधूरे बजट की प्रतिलिपि देने की बात को लेकर विपक्ष के सदस्यों एवं सत्ता पक्ष के सदस्यों के बीच नोंक झोंक और शौर शराब होने लगा तो सभापति डा. विजयराज शर्मा ने सदस्यों को शांत करते हुए बजट पर बिना चर्चा करवाये सत्तापक्ष के सदस्यों के हाथ खड़े करवा कर बजट को पारित करवाया गया।
बैठक में मनोनीत पार्षद विषणुदत्त त्रिवेदी ने सदन में बजट प्रस्ताव के बीच बार बार खड़े होकर बोलने का प्रयास किया तो विपक्ष के सदस्यों ने विरोध करते कहा कि मनोनीत सदस्य सभापति के द्वारा सलाह लेने पर अपनी बात रख सकते है। इस बीच मनोनीत सदस्य अपनी कुर्सी पर बैठ गए। विपक्ष के नेता रामनारायण प्रजापत ने सदन में प्रस्ताव रखा कि जो बजट पेश किया है उसको जानने के लिए चार दिन बाद पुन: बैठक बुला कर बजट पर चर्चा करवाने की मांग की। जिसको सभापति ने नकारते हुए बजट पारित करवा दिया। भाजपा पार्षद गणेश मंडावरिया ने बताया कि बजट के पक्ष में 12 मत पड़े तथा विरोध में 7 मत पड़े। मण्डावरिया ने बताया कि विपक्ष को बजट का विरोध नही करना चाहिए क्योंकि बजट जनहित एवं शहर के विकास को लेकर तैयार किया गया है, इसका विरोध करना दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
वहीं विपक्ष ने बजट की आधा अधुरी जानकारी देने प्रतिलिपि सदन में देने का विरोध करना बताया है। बजट बैठक में गणेश मण्डावरिया, बंशी गुर्जर, नोरतन बागड़ा, पवन माहेश्वरी, हाजी हाकम अली, रामज्योति सांखला, विष्णुदत त्रिवेदी, मदनलाल इन्दौरिया, श्यामनारायण राठी, बुद्धिप्रकाश सोनी, मनोज पारीक, सोहनलाल सीलग, बीरबल प्रजापत, नेता प्रतिपक्ष रामनारायण प्रजापत, शेर मोहम्मद क्याल, मधु बागरेचा, बाबूलाल कुलदीप, सिकन्दर अली खिलजी, पूसाराम मेघवाल, प्रदीप टाक के अलावा नगरपरिषद के लेखाधिकारी सीताराम शर्मा, अखिलेश पारीक, राजस्व अधिकारी पूजा शर्मा सहित पार्षद व नगरपरिषद के कार्मिक उपस्थित थे।
आधे से कम पार्षद रहे उपस्थित
शहर के विकास के लिए महत्वपूर्ण बजट बैठक को लेकर जनप्रतिनिधियों की उदासीनता सामने आई है। पिछले साल बजट बैठक होने के बाद एक वर्ष के अन्तराल के बाद फिर से बजट बैठक ही हुई थी। जिसमें शहर के विकास के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सतापक्ष एवं प्रतिपक्ष के पार्षदों के पास समय ही नहीं था। कुल चालीस सदस्यीय नगरपरिषद के निर्वाचित चालीस पार्षदों में से बैठक में दोनो तरफ से मात्र 19 पार्षद ही बैठक में पंहूचे।