अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नेपालसिंह ने पीड़िता एवं उसके परिजनों के बयानों में विरोधाभास के चलते दुष्कर्म के आरोपी को बाइज्जत बरी करने के आदेश दिये हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार पीड़िता के पति ने 26 जून 2012 को छापर थाने में अपनी पत्नी की गुमशुदगी दर्ज करवाते हुए रिपोर्ट में बताया कि उसकी पत्नी साड़िया, 25 हजार रूपये नगद व गहनों के अलावा मोबाईल, कैमरा, बैग और अटैची अपने साथ ले गई है।
मुस्तगिस की रिपोर्ट पर कार्यवाही करते हुए पुलिस ने 08 सितम्बर 2012 को पीड़िता को जयपुर से दस्तयाब कर उसके पिता को सुर्पुद कर दिया। पीड़िता ने अपने बयानों में पुलिस को बताया कि 26 जुन 2012 की सुबह चार-पांच बजे वह राजकुमार मेघवाल के साथ स्वैच्छा से जयपुर गई थी। जहां पर वे किराये के घर में रहे। राजकुमार ने उसे वहां पर जबरदस्ती रोके रखा तथा उसके साथ खोटा काम किया। पीड़िता के बयानों के आधार पर छापर थाने के एएसआई फूलचन्द ने तहरीर रिपोर्ट पेश की। जिसके आधार पर छापर थाने में राजकुमार मेघवाल के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप का मामला दर्ज किया गया। न्यायालय में सुनवाई के दौरान दोनो पक्षों की ओर से 12 गवाहों के बयान हुए। पीड़िता के अपने खुद के एवं उसके माता-पिता के बयानों में विरोधाभास था। पीड़िता के कथनों की मेडीकल रिपोर्ट से भी पुष्टि नहीे हुई।
अनुसंधान अधिकारी एवं अन्य गवाहों के बयानों में भी विरोधाभास होने से अभियोजन पक्ष मामले को संदेह से परे प्रमाणित नहीं कर पाया। जिसके कारण अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नेपालसिंह ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय को बताया गया कि इसी पीड़िता के द्वारा इसी आरोपी के खिलाफ भादंस की धारा 363, 366 व 376 में मेड़ता के सेशन न्यायालय में मुकदमा नं. 39/11 मामला दर्ज करवाया था। जिसमें भी आरोपी को निर्दोष करार दिया गया था। आरोपी की ओर से पैरवी एड. मो. दयान ने की।