होली के बाद सोलह दिन तक चलने वाले कन्याओं एवं सुहागिनों का पर्व गणगौर के गीत हर्षोल्लास पूर्वक गाये जा रहे हैं। रोजाना सुबह-सुबह घरों से गणगौर के गीत सुनाई देने लगते हैं तो दोपहर में गौर के बनोरों का दौर शुरू हो जाता है। घर -घर में गौर-ईसर की पूजा कन्याओं, नवविवाहिताओं द्वारा बड़े ही चाव एवं उल्लासपूर्वक की जा रही है। भंवर म्हाने पूजण द्यों गिणगौर, गौर ए गणगौर माता खोल किवाड़ी, आज म्हारे गौर बनोरो निसरयो सहित अनेक गौर के गीत से नवविवाहितों एवं कन्याओं के सुमधुर स्वर में गाये जा रहे हैं।