श्रीदेवसागर सिंघी जैन मन्दिर के शताब्दी समारोह के अर्न्तगत आयोजित सुन्दरकाण्ड पाठ में उपस्थित धर्मानुरागियों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथावाचक पं. अनुराग कृष्ण शास्त्री ने कहा कि सीता शांति का प्रतीक है। हनुमान जी शांति को लाने वाले है। पं. शास्त्री ने कहा कि मनुष्य के दो रूप ज्ञानी व भक्त के रूप होते हैं। भक्त के रूप को सर्वश्रेष्ठ मानते हुए शास्त्री ने कहा कि भगवान भक्त के अधीन होते हैं। वर्तमान में हनुमान की उपासना बेहद फलकारी है।
सनातन धर्म व जैन धर्म का सांगोपांग मीमांशा करते हुए अनुराग शास्त्री ने कहा कि सभी धर्मों का आदिश्रोत सनातन धर्म ही है। पं. शास्त्री ने सोदाहरण जैन धर्म के तीर्थंकरों और जैन धर्म परम्परा के सम्बन्ध में उपयोगी जानकारी दी। वृंदावन से आये पं. अनुराग शास्त्री का पूर्व माल्यार्पण कर सिंघी परिवार के खड़कसिंह ने माल्यार्पण कर और रणजीत सिंघी ने शॉल ओढ़ाकर अभिनन्दन किया। देर रात्री तक पं. शास्त्री ने संगीतमय सुन्दरकाण्ड पाठ किया। सुन्दरकाण्ड पाठ में कस्बे के अनेक लोग उपस्थित थे।
शोभायात्रा निकाली
श्रीदेवसागर सिंघी जैन मन्दिर के शताब्दी समारोह पर भगवान पार्श्वनाथ की शोभायात्रा कस्बे के प्रमुख मार्गो से होती हुई गंतव्य तक पंहूची। शोभायात्रा का जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। इससे ूपूर्व मन्दिर परिसर में विधिविधान से धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न हुए। शोभायात्रा में वरिष्ठ पत्रकार गुलाबचन्द कोठारी, चन्द्रप्रकाश सिंघी, विजयराज सिंघी सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे। शोभायात्रा में रंगोली और पंजाबी बैंड आकर्षण का केन्द्र रहे।