अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति द्वारा मायड़ भाषा दिवस पर प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री को ज्ञापन भेजकर राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़कर संवैद्यानिक मान्यता प्रदान करने की मांग की गई है। समिति के सम्भाग अध्यक्ष एड. घनश्यामनाथ कच्छावा ने ज्ञापन में लिखा है कि प्राचीन साहित्य, शब्द कोश और अधिकाधिक क्षेत्रों में बोली जाने वाली देश की समृद्ध भाषा राजस्थानी को आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में अब तक स्थान नहीं मिलना दुर्भाग्य पूर्ण है।
ज्ञापन में कच्छावा ने बताया कि राजस्थान सरकार द्वारा 2003 में सर्वसम्मति से संकल्प प्रस्ताव बनाकर केन्द्र को भेज गया था। संसद में प्रदेश के अनेक सांसदों द्वारा मान्यता देने का तथ्यपूर्ण मुद्दा उठाने के बाद भी केन्द्र सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। कच्छावा ने राजस्थानी को मान्यता नहीं देने को देश के करोड़ों राजस्थानियों और राजस्थान की वीर धरा का अपमान बताते हुए शीघ्र ही मान्यता देने की मांग की है।