कलियुग में कर्मो की पवित्रता जरुरी : शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती

Mahadev temple

मांडेता स्थित श्री काशीपुरीश्वर महादेव मंदिर व काशीपुरीश्वर सेवाश्रम के चौथे वार्षिकोत्सव पर दो दिवसीय धार्मिक आयोजनों का शुभारंभ सोमवार को श्री काशीसुमेरु पीठाधीश्वर जगत्गुरु शंकराचार्य की धर्मसभा के साथ हुआ। धर्मसभा में उपस्थित भक्तजनों को सम्बोधित करते हुए शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि मनुष्य जीवन ही ऐसी योनि है जिसमें व्यक्ति को बिना तपस्या के फल की प्राप्ति होती है। स्वामी कानपुरी महाराज के सानिध्य में आयोजित सभा में शंकराचार्य ने कहा कि कर्म का फल मनुष्य को अवश्य ही भोगना पड़ता है, अत: कर्मो की पवित्रता मनुष्य के लिए आवश्यक है।

शंकराचार्य ने कहा कि लोक में कर्म बंधनकारक हैं, अत: मनुष्य को नि:स्वार्थ कर्म करने चाहिए। सरस्वती ने परहित की भावना को मूल में रखने की अपील करते हुए कहा कि सज्जनों की पीरा हरने के लिए राम के जन्म हुआ और उनका जन्म और जीवन हमारे जीवन में प्रेरणादायी और अनुकरणीय है। सरस्वती ने कहा कि अंग्रेज यहां से चले गए फिर भी भारत को इंडिया कहा जाता है, ये भारत माता का सरासर अपमान है। हमें अपनी भारतमाता की संस्कृति और इसके गौरव की रक्षा करनी चाहिए न कि पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण। घर-घर में गाय पालने की अपील करते हुए सरस्वती ने कहा कि प्रदेश में एक भी बूचड़खाना नहीं खुलने दिया जाएगा। निरस्त्रीकरण को युग की आवश्यकता बताते हुए सरस्वती ने कहा कि पूरे विश्व से समस्त परमणु हथियारों को समाप्त कर शांति की स्थापना की जानी चाहिए।

सरस्वती ने अमेरिका व चीन को उग्रवाद में समर्थक बताते हुए इनसे हाथ मिलाने की गलत बताया। इससे पहले आश्रम के महंत स्वामी कानपुरी महाराज ने स्वागत भाषण देते हुए शंकराचार्य का पाद पूजन कर व माल्यार्पण कर अभिनंदन किया। सभापति डॉ. विजयराज शर्मा ने संतो का आभार प्रकट किया। करंट बालाजी धाम के महंत बजरंगपुरी भी विशिष्ट अतिथि के रुप में मंचस्थ थे। इससे पहले शंकराचार्य का आश्रम आगमन पर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। माल्यार्पण द्वारा शंकराचार्य का स्वागत श्रीचंद तिवाड़ी, मूलचंद सांखला, नरेंद्र भाटी, एडवोकेट भीमशंकर शर्मा, पवन पारीक, टीकमचंद मंडा, वैद्य भंवरलाल, गोपाल प्रजापत, मुकेश पारीक, गजानंद, राजकुमार शर्मा, रामाकिशन जांगिड़, अशोक प्रजापत, रमेश, सादक अली आदि ने किया। संचालन घनश्याम नाथ कच्छावा ने किया।

भजन संध्या में बही भक्तिधारा
इसी प्रकार रात्रि में आश्रम परिसर में भजन संध्या का आयोजन किया गया। गायक रामस्वरूप ने – केशर को रुप बणायो, मैं तो श्याम दीवानी सहित अनेक भजन प्रस्तुत किए। इसी प्रकार रमा बाई ने म्हारा गुरुदेव थानें बार-बार वंदना, सांवरमल ने – बजरंग बली पार करावे, स्वामी कानपुरी महाराज ने – चलो बुलावा आया है, आज सखी मेरे रंग रली है.. सहित अनेक भजनों की समुधुर प्रस्तुतियां दी। तबले पर फिरोज भियाणी, सादक अली, ओरगन पर रमेश ने संगत की। भजन संध्या देर रात तक चली।

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