
राजकीय बगड़िया चिकित्सालय में लाने के बाद महिला मरीज की मौत पर उसके परिजनों ने चिकित्सकों पर समय पर मरीज को नहीं देखने का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया। मामले की गम्भीरता को देखते हुए पीएमओ की सूचना पर मौके पर पंहूचकर पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में किया। मृतका तारादेवी पत्नि बिशनलाल रैगर के परिजनों का आरोप है कि चिकित्सकों ने समय पर जांच कर उसका इलाज शुरू नहीं किया, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई।
मृतका के पुत्र का कहना है कि जब उसने चिकित्सकों से घर चलकर उसकी मां का इलाज करने को कहा तो डा. दिलीप सोनी व डा. एन.के. प्रधान ने ड्यूटी समय हो गया है, घर जा कर नहीं देख सकते, कहते हुए साथ जाने से इंकार कर दिया तथा पीएमओ डा. सकरवाल ने एम्बूलैंस भेजने से भी मना कर दिया। मांगने पर स्ट्रैक्चर तक नहीं दिया। जब वह अपनी मां को घर से लेकर आया तो वह जीवित थी, लेकिन बार-बार पुकारने पर भी चिकित्सकों ने उसे नहीं देखा। आधे घंटे तक वह अस्पताल गलियारे में तड़फती रही। जबकि चिकित्सकों डा. दिलीप सोनी व डा. एन.के. प्रधान का कहना है कि मरीज की चिकित्सालय में लाते ही जांच कर ली गई थी, उसकी घर पर ही मौत हो गई थी। मृतका के परिजनों का आरोप था कि चिकित्सक अस्पताल समय में भी घर पर ही मरीजों को देखते हैं।
पार्षद बाबूलाल कुलदीप ने आरोप लगाया कि चिकित्सकों का मरीज को रैफर करने पर जोर रहता है। परिजनों का आरोप था कि चिकित्सकों को कुछ कहने पर ये हड़ताल पर चले जाते हैं, जबकि गरीब का सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं होता है। इस अवसर पर थाना प्रभारी कुलदीप वालिया, प्रदीप तोदी, डा. नरेन्द्रसिंह राठौड़, नरसाराम फलवाड़िया, अन्नाराम डाबरिया, ऋषिराज फलवाड़िया, मौजीराम जाखड़, एड. तिलोकचन्द मेघवाल, वैद्य भंवरलाल शर्मा सहित अनेक लोग वार्ता के दौरान उपस्थित थे। शाम को तहसीलदार टी.सी. बंसल को कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर चिकित्सकों को हटाने की मांग की। जिला कलेक्टर अर्चनासिंह से फोन पर वार्ता होने के बाद परिजन शव को लेने को तैयार हुए।