मातमी धुनों के साथ ताजिये सुर्पुद-ए-खाक

sujangarh-Tajiye

मातमी धुनों के बीच कर्बला में ताजिये सुर्पुद-ए-खाक किये गये। नबी के नवासे की याद में शहर के बिसायतियान, काजियान, निवारिया, तेलियान मौहल्लों से छोटे-बड़े कुल सात ताजिये निकले। घंटाघर चौक पर कलन्दरों ने करतब दिखाये। इसके पश्चात गांधी चौक में विधायक खेमाराम मेघवाल व पूर्व विधायक मा. भंवरलाल मेघवाल के नेतृत्व में कांग्रेस व भाजपा के कार्यकर्ताओं ने ताजियेदारों का साफा बांधकर इस्तकबाल किया। इस अवसर पर कांग्रेस के शहर ब्लॉक अध्यक्ष प्रदीप तोदी, नगर अध्यक्ष रामवतार मंगलहारा, बाबूलाल कुलदीप, धर्मेन्द्र कीलका, इदरीश गौरी, मुकुल मिश्रा, युनूस खान हासमखानी, नूर मोहम्मद कायमखानी, बाबू खां, बशीर फौजी, विद्याप्रकाश बागरेचा, सत्यनारायण खाखोलिया, नरसाराम फलवाड़िया, हाजी गुलाम सदीक छींपा सहित अनेक कांग्रेस कार्यकर्ता उपस्थित थे।

इसी प्रकार भाजपा के वैद्य भंवरलाल काछवाल, भंवरलाल गिलाण, अब्दूल सबूर बेहलीम, युसुफ गौरी, वजीर खां, उप सभापति सैय्यद गौरी, हाजी हाकम अली, अंजनीकुमार रांकावत, गोपाल सोनी, प्रहलाद जाखड़, सिराज खां, मनीष गोठड़िया, बुद्धिप्रकाश सोनी, खुशीराम चान्दरा सहित अनेक भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित थे। इस अवसर पर इलियास खीची, एड. मोहम्मद दयान, एड. सलीम खान सहित अनेक लोग उपस्थित थे। ताजियों के रास्तों में जगह-जगह पानी, छबील व शरबत पिलाया गया। सिंघी मन्दिर के सामने मौलानी परिवार द्वारा पानी व शरबत छबील पिलाया गया। इस अवसर पर मोहम्मद इकबाल मौलानी, मोहम्मद असलम मौलानी, युसुफ टाक, अब्दूल शकूर, फिरोज आदि ने अपनी सेवायें दी। सिंघी मन्दिर के पीछे रफीक टाक, आदिल टाक, दिलीप अख्तर, आरिफ द्वारा मीठी खीर बनाकर लोगों को खिलाई गई। इस्लामी युवा जमाअत द्वारा हलवा बनाकर लोगों को वितरित किया गया। जिसमें पप्पू, फिरोज, इकबाल, नसरूद्दीन, महबूब टाक आदि ने अपनी सेवायें दी। गांधी चौक में पानी पिलाया गया।

इस अवसर पर किशोर सिंधी, मुरलीधर सिंधी, रफीक तेली, बाबू खां, बाबू तेली, मोहम्मद युनूस खान हासमखानी, मोहम्मद इकबाल मौलानी ने बताया कि नबी के नवासे अली के दुलारे फातमा के जिगर के टूकड़े इमामे हुसैन और अहले बैंत के अफराद और आपकी जानीसार सर जमीने करबला में भूखे प्यासे रहकर दीन की हिफाजत हक की सदाकत के लिए शहादते अज्मा पाई और साबित कर दिया कि सच्चाई खुद एक ताकत है, और जमाने को सबक दिया कि सच का साथ दो, सच्चाई और हक के लिए बातिल के सामने सिर नहीं झुकायें। मौलानी ने बताया कि योमे आसूरा यानि मोहर्रम के दिन अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत की निशानियां जाहिर फरमाई। मोहर्रम के दिन जमीनों, आसमान, जन्नत, दोजख, फरिश्ते और जमीन पर पहली बरसात सहित अपनी अनेक निशानियां जाहिर फरमाई।

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