अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नेपालसिंह ने हत्या के 6 साल पुराने मामले में दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अपर लोक अभियोजक एड. सूरजमल यादव ने बताया कि 29 मई 2009 को सुजानगढ़ के चांद बास निवासी छोटूराम पुत्र पूर्णाराम जाट ने छापर थाने में अपने भाई रूपाराम की हत्या करने के आरोप में पांच जनों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था। यादव ने बताया कि छोटूराम ने एफआईआर में बताया कि उसका भाई रूपाराम उम्र 35 वर्ष बचपन से ही ननिहाल कोडासर जाटान में रहता था। उसके ननिहाल वालों की हेमाराम जाट वगैरह से पुरानी रंजिश चल रही थी। 29 मई 2009 को रामनिवास पुत्र नानूराम जाट ने फोन पर बताया कि कुछ लोगों ने तुम्हारे भाई रूपाराम के साथ मारपीट कर उसे हेमाराम की ढ़ाणी के आगे फेंक दिया है।
इस पर मैं और मेरा भाई किशनाराम कोडासर गये। वहां पंहूचकर देखा कि रूपाराम हेमाराम की ढ़ाणी के आगे मृत पड़ा है। उसे काफी चोटें आई हुई थी। छोटूराम ने पुलिस को बताया कि खिराजाराम, हेमाराम, धन्नाराम, हरकाराम पुत्रगण जेठाराम जाट व जेठाराम की पत्नी निवासीगण कोडासर जाटान ने मेरे भाई रूपाराम को गंडासी व लाठियों से चोटिल कर मौत के घाट उतार दिया। इस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। जांच में खिराजाराम व हेमाराम को प्रथम दृष्टया हत्या का दोषी मानते हुए दोनो आरोपियों के खिलाफ 23 जुन 2009 को चालान पेश किया गया।
अपर लोक अभियोजक एड. सूरजमल यादव एवं परिवादी के वकील एड. गजेन्द्रसिंह ने मामले को उसके अंजाम तक पंहूचाने के लिए 18 गवाहों के बयान परीक्षित करवाये। जिस पर दोनो पक्षो की बहस सुनने के बाद एडीजे नेपालसिंह ने खिराजाराम व हेमाराम को रूपाराम की हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास एवं पांच हजार रूपये के आर्थिक दण्ड से दण्डित करने की सजा सुनाई। जुर्माने नहीं देने पर एक महीने के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई।