
एन.के. लोहिया स्टेडियम में शिव संस्थान एवं श्रीराम कथा आयोजन सेवा समिति के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित श्रीराम कथा के दूसरे दिन व्यास पीठ पर विराजमान होकर कथावाचक मुरलीधर जी महाराज ने रामकथा के प्रसंगों की चर्चा करते हुए उनके मर्म को विस्तारपूर्वक बताया। महाराज ने सती अनुसुईया प्रसंग के बारे में बताते हुए कहा कि सती अनुसुईया ने अपने पतिव्रत धर्म का निष्ठापूर्वक पालन किया। जिसके कारण स्वयं गंगा को प्रकट होना पड़ा।
पति-पत्नि को गृहस्थ जीवन का सूत्रधार बताते हुए महाराज ने कहा कि दोनो आपसी प्रेम, सामंजस्य एवं सहयोग के साथ धर्मानुसार अपने कर्म करें। रामचरितमानस को समाज सुधार सबसे बड़ी औषधि बताते हुए महाराज ने कहा कि निष्छल भाव से भगवान शंकर से प्रेम है, वही राम कथा श्रवण करने का अधिकारी है। जब तक भगवान भोलेनाथ की कृपा नहीं होगी तब तक भगवान श्रीराम की भी कृपा नहीं होगी। कथावाचक मुरलीधर महाराज का गोपाल शर्मा, कैलाश शर्मा, मंजू अरोड़ा, मनोज अरोड़ा, सत्यनारायण शर्मा, सोहिनीदेवी ने माल्यार्पण कर स्वागत किया। उक्त जानकारी भंवरलाल गिलाण ने दी। राम कथा के आयोजन को सफल बनाने में माणकचन्द सराफ, शंकरलाल सामरिया, दानमल भोजक, पवन मुंधड़ा सहित अनेक स्वयंसेवक जुटे हुए हैं।