
अणुव्रत आंदोलन के प्रर्वतक आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी समारोह के अन्तर्गत साध्वी संयमश्री के सान्निध्य में दसानी भवन में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के तहत शुक्रवार को साम्प्रदायिक सौहार्द विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित साम्प्रदायिक सौहाद्र्व और अणुव्रत विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय लाडनूं के जनसम्पर्क समन्वयक डॉ वीरेन्द्र भाटी मंगल ने अणुव्रत आंदोलन को मानवीय मूल्यों का आंदोलन बताते हुए मूल्यों से प्रेरित शिक्षा से समाज का विकास बताया।
डॉ भाटी ने अणुव्रत आंदोलन को असम्प्रदायिक आंदोलन बताते हुए नैतिक आंदोलन बताया। उन्होनें आचार्य तुलसी द्वारा साम्प्रदायिक सौहाद्र्व एवं विश्वशांति के लिए किये गये कार्यो को उपयोगी बताया। डॉ भाटी ने अणुव्रत दर्शन को प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रहित को सर्वोपरी बताया। साध्वी संयमश्री ने संगोष्ठी में सान्निध्य प्रदान करते हुए अणुव्रत आंदोलन को मानव जीवन के लिए संजीवनी बताया। साध्वी श्री ने सम्प्रदाय और धर्म की व्याख्या करते हुए नैतिक धर्म अपनाने का आह्वान किया। साध्वी सहजप्रज्ञा ने आचार्य तुलसी के इंसान पहले इंसान फिर हिन्दू या मुस्लमान उद्घोष को इंसानियत का नारा बताया।
साहित्यकार घनश्यामनाथ कच्छावा ने जाति, रंग, धर्म एवं सम्प्रदाय से हटकर मानव धर्म अपनाने का आह्वान किया। इससे पूर्व अणुव्रत समिति के मंत्री रतन भारतीय ने अणुव्रत की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ वीरेन्द्र भाटी मंगल का अणुव्रत समिति द्वारा अभिनंदन भी किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता तेरापंथ सभा के पूर्व अध्यक्ष हेमराज बैद ने एवं विशिष्ट अतिथि आसकरण दरोगा, सुनिता भूतोडिया, मधु बागरेचा, सुमन चौरडिया, रतनीदेवी चौपडा आदि ने अपने विचार रखे। तेरापंथ महिला मंडल की महिलाओं द्वारा मंगलसंगान प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संयोजन रतन भारतीय ने किया।