स्थानीय संगीत साधना के तत्वाधान में शनिवार रात्रि को आयोजित शास्त्रीय संगीत संध्या में भजन व गजल की मनभावन प्रस्तुतियों से श्रोता भाव विभोर हो गये। भादी पीठाधीश्वर महन्त रेवन्ती रमण दास महाराज के सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता महन्त स्वामी कानपुरी महाराज ने की। मुख्य अतिथी संगीतज्ञ भंवरलाल जांगीड़ व विशिष्ट अतिथी प्राचार्या डॉ. अरूण सोनी एवं छापर के बजरंग लाल दायमा थे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में संस्थान के सचिव मुकेश रावतानी ने आयोजकीय पृष्ठभूमि को रेखांकित किया वहीं कार्यक्रम संयोजक एडवोकेट निरंजन सोनी से स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वामी कानपुरी महाराज ने गणेश वंदना प्रस्तुत करते हुए कहा कि संगीत एक कठोर व सतत् साधना है।
कार्यक्रम में लोसल के गिरीश दाधीच ने छोडो ना कन्हाई व झनक श्याम की पेजनियाँ की बेहतरीन प्रस्तुति दी। जयपुर के पप्पू मारू ने राग यमन में झपताल में अबरू भजन आत्म ज्योति प्रगटे प्रस्तुत की। पप्पू मारू के दस रागों का समावेश करते हुए भजन ए मन निस दिन भजले राधेश्याम व राग बागेश्वरी में प्रस्तुत गजल यार था गुलजार था को खूब करतल ध्वनी से सराहना मिली। संस्थान के अध्यक्ष शंकर करवा व युवा गायक जितेन्द्र्र दाधीच ने युगल में राग जोग में आबद्व बंदीश छोटा ख्याल मेरी गेल ना ही छोडे प्रस्तुत कर खूब सराहना प्राप्त की। सरदारशहर के विकास पारीक की गजल दिल ना होते तो मुलाकात अधूरी रहती, बात तो होती पर बात अधूरी रहती सहित अन्य गजलों को श्रोताओं ने सराहा।
वरिष्ठ संगीतकार प्रकाशचंद सोनी ने राग भैरवी में कैसी ये भलाई रे प्रस्तुत कर खून वाह-वाही लूटी। रेवती रमण महाराज ने भी शास्त्रीय संगीत शैली में विविध प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में तबले पर शंकर करवा, सारंगी पर वसन्त कुमार मिश्र ने बेहतरीन संगीत की। कार्यक्रम के अन्त में संस्थान के अध्यक्ष शंकर करवा ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन घनश्याम नाथ कच्छावा ने किया। आगन्तुक अतिथियो व कलाकारो का स्वागत सस्थंान के ललीत शर्मा,सदींप सोनी विकास सोनी,विनोद सैन, रफीक राजस्थानी,पार्षद श्री राम भामा,शोभना लाटा आदि ने किया।