कस्बे के होली धोरा मौहल्ले में स्क्रब टाईफस का मरीज मिलने के बाद चिकित्सकों की टीम ने मौहल्ले घर-घर सर्वे किया तथा कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार होली धोरा निवासी चमन बानो पुत्री अहमद खां पत्नी इमजाद खां अपने ससुराल सरदारशहर में गत सात मई को बीमार हुई थी। बीमार होने पर चमन बानो की हड्डियों में तेज दर्द, पेट दर्द व बुखार हुआ था। चमन बानो बीमार होने से पूर्व करीब डेढ़ महीने से सरदारशहर में ही रह रही थी।
सरदारशहर में बीमार होने के बाद वहां पर उसका प्राथमिक उपचार करवाया गया। लेकिन वहां पर ईलाज लेने के बाद भी आराम नहीं आने पर 12 मई को अपने पीहर सुजानगढ़ आ गई। सुजानगढ़ आने के बाद चमन बानो को डा. सरोज कुमार छाबड़ा को दिखाया गया। लेकिन डा. छाबड़ा के इलाज से स्वास्थ्य लाभ नहीं मिलने पर डा. मधुसूदन शर्मा को दिखाया गया। पूरी जांच करने के बाद डा. शर्मा ने चमन बानो के स्क्रब टाइफस होने की पुष्टी करते हुए जयपुर दिखाने को कहा। जिसके बाद चमन बानो को जयपुर ले जाया गया। जहां पर वह साकेत हॉस्पीटल के आईसीयू वार्ड में उपचाराधीन है। चमन बानो के परिजनों ने बताया कि उनकी स्थिति में आंशिक सुधार है।
घर – घर में किया सर्वें
सीएमएचओ डा. अजय चौधरी ने बताया कि जयपुर से स्क्रब टाइफस का रोगी होने की सूचना आने के बाद मौहल्ले के करीब डेढ़ सौ घरों में रोगियों का सर्वे किया गया। सर्वे में दो रोगी बुखार के मिले हैं। जिनके खुन का सैम्पल लेकर जांच के लिए भेजा गया है।
इनसे फैलता है ये रोग
चौधरी ने बताया कि जानवरों के रहने के स्थान पर होने वाले एवं जानवरों का खुन चूसने वाले परजीवी चिंचड़ी आदि कीटों के काटने से यह रोग होता है। उन्होने बताया कि खून चूसने वाले ये परजीवी खुन चूसने के लिए काटने के दौरान अपनी लार शरीर में छोड़ देते हैं। जिससे लार में होने वाले वायरस रोगी के शरीर में पंहूच कर उसके खुन के थक्का जमाने की कोशिकाओं को कमजोर कर देते हैं। इस रोग में रोगी के शरीर के अन्दर किसी भी अंग में रक्तस्त्राव शुरू हो जाता है तथा तीन दिन में ही रोगी गम्भीरावस्था को पंहूच जाता है। डा. चौधरी ने बताया कि इस रोग में मांसपेशियों में खींचाव, शरीर के किसी भाग में त्वचा पर लाल दाने उभरना, पिस्सू के काटने के स्थान पर काला धब्बा बनकर गांठ बनना, सर्दी लगकर बुखार होना, बुखार के साथ तेज सिरदर्द व अत्यधिक पसीना आना इस बिमारी के लक्षण है। किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं बरतते हुए तुरन्त चिकित्सक को दिखाकर उपचार लेना चाहिये।
ये हैं बचाव
इस रोग से बचने के लिए पूरे कपड़े पहनकर रहें। घर से बाहर जाते समय जूते-मौजे पहने। घर के आस-पास घास-फूस की सफाई रखें। चूहों से बचाव करें, चिकित्सक की देख-रेख में दवाई लें तथा पालतू जानवरों को स्वस्थ रखें।
ये ना करें
व्यस्त पार्क व ऊंची घास वाले जंगली क्षेत्र में नहीं जाये। घर के आस-पास झाडिय़ा नहीं उगने दें। घर के बगीचों में गन्दगी नहीं होने दें।